रविवार, 7 जुलाई 2019

भगवान कृष्ण की बाल लीला 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 आचार्य डा.अजय दीक्षित

भगवान कृष्ण की बाल लीला
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आचार्य डा.अजय दीक्षित
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ऐसा कोन होगा जिसने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला को नहीं सुना होगा और बाल लीला में विशेषकर माखन चोरी लीला। माखन चोरी लीला भगवान ने इसलिए की क्योकि गोपियाँ भगवान से प्रेम करती थी। और भगवान अपनी लीला के माध्यम से उन्हें प्रेम देना चाहते थे।

और वास्तव में भगवान माखन चोर नहीं है वो तो चित-चोर है। एक बार जो उनकी लीला को सुन लेगा- देख लेगा फिर उसे संसार से क्या मतलब? भगवान ब्रज में नित्य ऐसी लीला करते रहते थे। एक बड़ी सुन्दर लीला आप पढ़िए और सिर्फ पढ़िए नहीं मन की आँखों से थोड़ा दर्शन कीजिये, मेरे गुरुदेव कहते है की चिंतन कीजिये-

एक बार की बात है भगवान अपनी टोली के साथ तैयार हुए। भगवान के मित्र बने है सुबल, मंगल, सुमंगल, श्रीदामा, तोसन, आदि। भगवान सोच रहे है की आज किसके घर माखन चोरी की जाये। याद आया की “चिकसोले वाली” गोपी के घर चलते है। भगवान पहुंच गए सुबह सुबह और जोर से दरवाजा खटखटाने लगे। गोपी ने दरवाजा खोला। तो श्रीकृष्ण को खड़े देखा। बाल बिखेर रखे थे, मुह पर उबासी थी। गोपी बोली – ‘अरे लाला! आज सुबह-सुबह यहाँ कैसे?

कन्हैया बोले – ‘गोपी क्या बताऊँ! आज सुबह उठते ही, मैया ने कहा लाला तू चिकसोले वाली गोपी के घर चले जाओ और उससे कहना आज हमारे घर में संत आ गए है मैंने तो ताजा माखन निकला नहीं, चिकसोले वाली गोपी तो भोर में उठ जावे है।ताजो माखन निकल लेवे है। तू उनसे जाकर माखन ले आ। और कहना कि एक मटकी माखन दे दो, बदले में दो मटकी माखन लौटा दूँगी।

गोपी बोली – लाला! मै अभी माखन की मटकी लाती हूँ और मैया से कह देना कि लौटने की जरुरत नहीं है संतो की सेवा मेरी तरफ से हो जायेगी ।झट गोपी अंदर गयी और माखन की मटकी लाई और बोली – लाला ये माखन लो और ये मिश्री भी ले जाओ। कन्हैया माखन लेकर बाहर आ गए और गोपी ने दरवाजा बंद कर लिया।

अब भगवान ने अपने सभी दोस्तों को बुलाया है और कहते है आओ आओ श्रीदामा, मंगल, सुबल, जल्दी आओ, सब-के-सब झट से बाहर आ गए भगवान बोले,” जिसके यहाँ चोरी की हो उसके दरवाजे पर बैठकर खाने में ही आनंद आता है, और वो चोरी भी नहीं कहलाती है।” झट सभी गोपी के दरवाजे के बाहर बैठ गए, भगवान ने सबकी पत्तल पर माखन और मिश्री रख दी। और बीच में स्वयं बैठ गए। सभी सखा माखन और मिश्री खाने लगे।

माखन के खाने से होंठो की पट पट और मिश्री के खाने से दाँतो के कट-कट की आवाज जब गोपी ने सुनी तो सोचा ये आवाज कहाँ से आ रही है , कोई बंदर तो घर में नही आ गयो है।

जैसे ही उसने दरवाजा खोला तो सारे मित्रों के साथ श्रीकृष्ण बैठे माखन खा रहे थे। गोपी बोली – ‘क्यों रे कन्हैया! माखन संतो को चाहिए था या इन संड-भुसंडान को।

भगवान बोले देख गोपी गाली मत दीजो। ये भी संत है, साधु है। और तो और नागा साधु है किसी के तन पर कोई वस्त्र तक नहीं है।
तुझे तो इनको प्रणाम करना चाहिए और वो भी दंडवत(लेट कर)। गोपी बोली अच्छा अभी दण्डोत करती हूँ। एक डंडा ले आउ फिर अच्छे से डंडे से दण्डोत करुँगी।

भगवान बोले सबको बेटा माखन बहुत खा लिए है अब पीटने का नंबर है। भागो सभी अपने-अपने घर को। इस प्रकार भगवान ब्रज में सुन्दर लीला कर रहे है और सबको अपने रूप मधुर से सराबोर कर रहे है।

भगवान पूरी मण्डली के साथ माखन चुराने जाते थे। एक बार गोपियों ने आपस में कहा की कुछ ऐसा इंतजाम करते है की इसे माखन चुराते हुए पकड़ ले। सबने मीटिंग की है।

एक गोपी ने एक तरकीब लगायी गोपी ने माखन निकला और छीके पर टांग दिया और साथ में एक घंटी बांध दी कि जैसे ही बाल कृष्ण माखन चुराने आयेगे तो घंटी बज पड़ेगी और मैं रंगे हाथों कान्हा को पकड़ लूँगी।

कुछ देर बाद बाल कृष्ण अपने सखाओ के साथ गोपी के घर माखन चुराने आये, तभी श्रीदामा जी ने कहा – कान्हा देखो, गोपी ने तो मटकी में घंटी बांध दी है अगर माखन कि मटकी को हाथ लगायेगे तो घंटी बज जायगी और गोपी हमे पकड़ लेगी।

बाल कृष्ण ने कहा – गोपी हमें नहीं पकडेगी। फिर बाल कृष्ण ने घंटी से कहा – देखो घंटी! हम सब माखन चुरायेगे पर तुम बजना मत।

घंटी बोली – ठीक है प्रभु! नहीं बजुगी।

अब भगवान ने झट से श्री दामा जी के कंधे पर चढ गए और माखन कि मटकी में से माखन निकाला, और एक-एक करके सभी सखाओं को खिलाने लगे अंत में बाल कृष्ण ने जैसे ही स्वयं माखन खाया, त्यों ही घंटी बजने लगी।

घंटी कि आवाज सुनते ही गोपी आ गई। सारे सखा तो भाग गए पर झट गोपी ने कान्हा को पकड़ लिया और बोली – आज तो रंगे हाथ पकडे गए।

कान्हा ने कहा – रुको गोपी! पहले मुझे इस घंटी से बात करने दो तुमसे बात में बात करूँगा फिर तुमसे बात करूँगा।

भगवान ने कहा – क्यों री घंटी ! तूने मेरी बात क्यों नहीं मानी? मैंने कहा था कि बजना मत।

घंटी बोली – प्रभु ! इसमें मेरा दोष नहीं है देखो जब तक आपके सखाओं ने माखन खाया तब तक में नहीं बजी लेकिन जैसे ही आपने माखन खाया तो में बज उठी। क्योकि मंदिर में जब पुजारी जी आपको भोग लगाते है तो घंटी बजाते है। इसलिए इसलिए मुझे बजना पड़ा ।

गोपी ने कहा – कान्हा आज बड़े दिनों के बाद हाथ लगे हो, झट गोपी ने एक रस्सी उठाई और बाल कृष्ण को बाँधने लगी। जैसे ही कलाई में रस्सी लपेटती तुरंत फिसल जाती क्योकि बड़े कोमल बाल कृष्ण है और हाथो में माखन भी लगा हुआ है। गोपी फिर लपेटती फिर रस्सी फिसल जाती।

बाल कृष्ण बोले – अरे गोपी तुझे तो बांधना भी नही आता। मै बताता हूँ। झट बाल कृष्ण ने रस्सी गोपी के हाथ से ली और गोपी के ही हाथ में लपेटने लगे देख गोपी ऐसे एक लपेटा फिर कस के गाँठ लगा।

गोपी – हाँ ठीक है लाला! मै समझ गई।
कान्हा – अरे! अभी कैसे समझ गई, एक गाँठ से क्या होगा एक गाँठ तो मै खोलकर भाग जाऊँगा , देखो गोपी फिर दूसरी गाँठ इस तरह से कस के लगाना।

गोपी – हाँ हाँ लाला ! में समझ गई अब खोल दो।

कान्हा – क्या कहा गोपी खोल दो ! मै काय खोलू, खोलेगो तेरो खसम! और ठेंगा दिखाकर भाग जाते है।

बहुत प्यारी बाल लीला कर रहे है भगवान। और गोपियों को, ब्रजवासियों को आनंद ही आनंद प्रदान कर रहे है।

बोलिए माखन चोर भगवान की जय।

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