गुरुवार, 4 जुलाई 2019

गर जन्म कुंडली में हो ऐसे योग तो विवाह पश्चात होता है भाग्योदय….

गर जन्म कुंडली में हो ऐसे योग तो विवाह पश्चात होता है भाग्योदय…. आचार्य डा.अजय दीक्षित                             
स्त्री पुरुषो की जन्म कुंडली में कुछ ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है जो यह दर्शाती है की जातक का भाग्योदय कब होगा। भाग्योदय एक ऐसा शब्द है जिसके अर्थ को हम सफलता से जोडते है।
भाग्योदय वह समय माना जाता जिस समय हमारे जीवन में असफलता मिलनी बंद हो जाती है। हमारे द्वारा किया गया प्रत्येक कार्य हमे सफलता की ओर लेकर जाता है।
कुछ जातकों का भाग्योदय शीघ्र हो जाता है और अधिकतर जातको का भाग्योदय विवाह के पश्चात होता है। विवाह के बाद भाग्योदय होने के योग
1- सप्तमेश और भाग्येश में राशि परिवर्तन विवाह के बाद भाग्योदय दर्शाता है।
2- सप्तमेष बली हो तथा धनेष व लाभेष का प्रभाव सप्तम भाव या सप्तमेष पर होने से व्यक्ति का भाग्य विवाह के उपरांत बदलता है। ऐसे इंसान विवाह उपरांत अत्यधिक धनी व प्रतिष्ठा प्राप्त करते है।
3- सप्तमेश का धन स्थान या लाभ स्थान पर स्थित होकर शुभ ग्रहों के प्रभाव में होना विवाह उपरांत भाग्योदय करवाता है। ऐसे इंसान का जीवनसाथी या तो धनी घर से सम्बंध रखता है या बडा ही भाग्यशाली होता है
4- सप्तमेष पर सूर्य या चंद्र का प्रभाव विवाह उपरांत भाग्योदय देता है।
5- सप्तम स्थान के कारक गुरु और शुक्र बली अवस्था में हो तथा सप्तम स्थान या सप्तमेश को प्रभावित करे तो व्यक्ति का विवाह के बाद भाग्योदय होता है
6- सप्तम स्थान पर शुभ प्रभाव हो तथा धनेश या लाभेश सप्तम स्थान को देखें
7- नवांशेष उच्च गत हो तो जातक का विवाह किसी भाग्यशाली से होता है।
8- लग्न में शुभ ग्रह स्थित हो तथा सप्तम स्थान पर लाभेष स्थित होने पर विवाह उपरांत भाग्योदय होता है।
9- सप्तमेष उच्च राशि का हो तथा कारक भी उच्च या बली अवस्था का हो तो ऐसे इंसान को विवाह के बाद अत्यधिक सफलता मिलती है
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