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*🔥ॐ दुं दुर्गायै नमः।।🔥*
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*✨मृत्युंजय मन्त्रः विविध प्रकार-:✨*
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*✨एकाक्षरी मृत्युंजय मंत्र-:*
*'हौं'*
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*✨त्र्यक्षरी मृत्युंजय मंत्र-:*
*'ॐ जूं सः'*
*(त्रयलक्ष जप, त्रिअयुतं हवनम् , त्रिसहस्त्र तर्पणम्, त्रिशतसः मार्जनम्।)*
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*✨चतुरक्षरी मृत्युंजय मंत्र-:*
*'ॐ हौं जूं सः'*
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*✨चतुरक्षरी मृत्युंजय मंत्र-:*
*'ॐ वं जूं सः'*
(देहस्य तापशमनार्थं प्रयोगः)
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*✨नवाक्षरी मृत्युंजय मंत्र-:*
*'ॐ जूं सः पालय पालय'*
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*✨दशाक्षरी मृत्युंजय मंत्र-:*
*'ॐ जूं सः मां पालय पालय'*
(किसी अन्य रोगी के रक्षार्थ जप करना हों तो 'मां पालय पालय' के स्थान पर रोगी का नाम बोलना चाहिए।)
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*✨पंचदशाक्षरी मृत्युंजय मंत्र-:*
*'ॐ जूं सः मां पालय पालय सः जूं ॐ'*
(मंत्र क्रमांक ५ एवं ६ में यदि किसी रुग्ण व्यक्ति, जो मृत्युशैया की स्थिति में हैं अथवा शल्य चिकित्सा कुछ ही क्षणों में होने वाली हों, उस समय 'मां' की जगह रोगी का नाम उच्चारण करें, जैसे 'महेशम्'।)
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*✨वैदिक त्र्यम्बक मंत्र-:*
*त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।*
*उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।*
यह मूलमंत्र प्रसिद्ध एवं प्रचलित हैं।
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*✨त्रयस्त्रिंशाक्षराः मृत्युंजय मंत्र-:*
*ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।*
*उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।*
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*✨अष्टचत्वारिंशाक्षरा मृत्युंजय मंत्र-:*
*ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः*
*ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।*
*उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्*
*ॐ स्वः ॐ भुवः ॐ भूः ॐ।।*
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*✨मृतसंजीवनी मंत्र-:*
*ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः ॐ भुवः ॐ भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।।*
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*✨बासठ अक्षरी महामृत्युंजय मंत्र-:*
*ॐ हौं ॐ जूं ॐ सः ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।*
*उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः ॐ भुवः ॐ भूः ॐ सः ॐ जूं ॐ हौं ॐ।।*
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*✨अन्य मंत्रों के साथ मृत्युंजय मंत्र-:*
*१) ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमही।*
*धियो यो नः प्रचोदयात्।*
*२) ॐ जातवेदसे सुनवाम सोममरातीयतो निदहाति वेदः।*
*स नः पर्षदति दुर्गाणि विश्वानावेव सिन्धुं दुरितात्यग्निः।।*
*३) ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।*
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*इन तीनों मंत्रों को मिलाकर तथा मृत्युंजय मंत्र का योग करके करने से असाधारण सफलता प्राप्त होती हैं।*
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*ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। ॐ जातवेदसे सुनवाम सोममरातीयतो निदहाति वेदः। स नः पर्षदति दुर्गाणि विश्वानावेव सिन्धुं दुरितात्यग्निः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् स्वः भुवः भूः ॐ।।*
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*शताक्षरा मंत्र विधान को तीन भागों में वर्णित किया गया हैं- प्रथम, शताक्षरा गायत्री विधान, द्वितीय, शताक्षरी जातवेदस मंत्र जप विधान एवं तृतीय शताक्षरा त्र्यम्बक मंत्र जप विधान।*
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🙏🌹दुर्गमाश्रिता:कमलकांत शास्त्री(श्री शिव-शक्ति उपासक)
*क्रमशः*
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