मूल नक्षत्र शान्ति का चक्कर
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आचार्य डा.अजय दीक्षित
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मुहूर्त चिंतामणि नामक प्रसिद्ध ज्योतिष पुस्तक में साफ़ साफ़ कहा गया! है ।
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हिन्दी माह आषढ भादों आश्विन माघ इन माह में मूल
नक्षत्र का निवास स्वर्ग में होता है ।
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श्रावन, कार्तिक, चैत्र और पूस महीने में मूल का निवास
भूमि पर होता है ।
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फागुन ,ज्येष्ठ, अगहन और वैशाख महीने में मूल
नक्षत्र का निवास पाताल लोक में होता है ।
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इस प्रकार श्रावन, कार्तिक ,चैत्र ,और पूस महीने मे जो
बच्चा उत्पन्न हो उसी के मूल की शान्ति
होती है अन्यथा नही / जब
की यदि शान्ति अन्य महीनो में पैदा
की शान्ति कर दी जाए तो उलटा नुकशान हो
जाता है।
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दूसरी बात यह है की नक्षत्र के चरणों
का भी भेद है / सभी चरण अशुभ
नही होते / जो इस प्रकार है -अश्वनी
का पहला चरण पिता के लिए ख़राब होता है इस लिए शान्ति करे /
अश्लेखा सभी चरण ख़राब होते है /इस लिए शान्ति
जरुरी है / मघा के पहले दो चरण ख़राब होते है इस
लिए शान्ति जरुरी है /ज्येथा नक्षत्र के
भी चारो चरण ख़राब है /मूल नक्षत्र पहले तिन
चरण ख़राब है इस लिए शान्ति करे /अंत में रेवती का
अन्तिम चरण ख़राब होता है बाकी और
नही इस लिए शान्ति करे /उम्मीद है
काफ़ी हद तक आप की उलझन दूर हुई
हो गी /
प्रतेक नक्षत्र के चार चरण होते है /जो चरण ख़राब बताये है
उनके अलावा अन्या चरण की शान्ति जरुरी
नही है बल्कि शान्ति कर ने पर उलटा असर हो जाता
है
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