शनिवार, 12 जनवरी 2019

ब्रह्मवैवर्त पुराण के कुछ खास रहस्य :------

ब्रह्मवैवर्त पुराण के कुछ खास रहस्य :--------
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आचार्य डा.अजय दीक्षित
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हिंदू पंचांग के अनुसार अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि के दिन स्त्री-पुरुष संसर्ग भूलकर भी न करें। इन तिथियों में तेल मालिश, बालों में तेल लगाना भी वर्जित कहा गया है।


दीपक, शिवलिंग, शालिग्राम, मणि, देवी-देवताओं की मूर्तियां, यज्ञोपवित, स्वर्ण और शंख को कभी भी सीधे जमीन पर न रखेें। इन्हें किसी पात्र या कपड़े पर किसी ऊंचे स्थान पर रखना चाहिए।


ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार घर की स्त्रियां लक्ष्मीस्वरूपा होती हैं। इसलिए वे कभी भी बुरी वाणी न बोलें। जिन स्त्रियों की वाणी से किसी को दुख पहुंचता हो, वह अगले जन्म में कौवे की योनि में जन्म लेती हैं। पति के साथ हिंसा करने वाली स्त्री अगले जन्म में शूकरी बनती है।


इसी तरह स्त्रियों पर अत्याचार करने, उन्हें दुखी करने वाले पुरुष मृत्यु तुल्य कष्ट पाते हैं।


दिन के समय और सुबह-शाम पूजन के समय स्त्री और पुरुष को समागम नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से लक्ष्मी रूष्ट हो जाती है और कई प्रकार के रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। 


बुरे करेक्टर वाले इंसान के साथ खाना-पीना, घूमना, एक स्थान पर सोना वर्जित माना गया है।


सूर्य और चंद्र को अस्त होते समय कभी भी नहीं देखना चाहिए। ऐसा करने से आंखों से संबंधित रोग होने की आशंका रहती है।


यदि आपने किसी को दान देने का संकल्प किया है, तो वह तय समय, तिथि और मात्रा में अवश्य करना चाहिए। यदि दान देने में विलंब हो तो तय मात्रा से दोगुना दान करना चाहिए।


प्रातः उठते ही सबसे पहले ईष्टदेव का ध्यान करें। भूमि पर पैर रखते समय पृथ्वी को प्रणाम करें। इसके बाद अधिक देर तक बिना नहाए न रहें।


कहीं बाहर से घर लौटने पर सबसे पहले घर के बाहर ही दोनों पैरों को साफ पानी से धोएं फिर प्रवेश करें।


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