शनिवार, 5 जनवरी 2019

भगवान विष्णु के 24 अवतार

भगवान विष्णु के 24 अवतार
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आचार्य डा.अजय दीक्षित
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सुखसागर के अनुसार भगवान विष्णु ने निम्न 24 अवतार लिये हैं -

वाराह अवतार (- प्रलय काल में जब पृथ्वी जल में समा गई थी तब पृथ्वी को जल से निकालने के लिए भगवान विष्णु ने वाराह अवतार धारण किया था और हिरण्याक्ष नामक दैत्य का संहार किया था।


सुयज्ञ अवतार ( - दूसरी बार भगवान विष्णु ने सचि प्रजापति की आकृति नामक पत्नी के गर्भ से सुयज्ञ के नाम से अवतार धारण किया तथा दक्षिणा नामक पत्नी द्वारा सुयम नाम के बहुत से देवता प्रकट किये। उस अवतार में देवताओं के अनेक संकट दूर करके उनके कष्ट हरे और हरि के नाम से विख्यात हुए।


कपिल अवतार ( - तीसरी बार कर्दम प्रजापति की पत्नी देवहूति से कपिल नाम से भगवान विष्णु अवतरित हुए तथा सांख्य योग का उपदेश दिया।


दत्तात्रयेय अवतार (- चौथी बार महर्षि अत्रि की अनुसुइया नाम की पत्नी से दत्तात्रयेय अवतार धारण कर यदु और सहस्त्रार्जुन को योग का उपदेश दिया।


सनक, सनन्दन, सनातन एवं सनत कुमार अवतार (- पाँचवी बार भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी के घोर तप से प्रसन्न होकर उनके चार पुत्रों सनक, सनन्दन, सनातन एवं सनत कुमार के रूप में अवतार धारण कर अपने उपदेशों से प्रलय काल में भूले जा चुके ज्ञान को पुनः ऋषियों को समझाया।


नर-नारायण अवतार ( - छठवीं बार भगवान विष्णु ने दक्ष प्रजापति की कन्या मूर्ति के गर्भ से नर-नारायण अवतार धारण किया।


सातवीं बार भगवान विष्णु ने उत्तानपाद के पुत्र ध्रुव को दर्शन देने के लिए अवतार धारण किया।


आठवीं बार भगवान विष्णु ने ब्राह्मणों को अपनी हुंकार से मार डाले गये पापी राजा बेन के शरीर के मन्थन से भगवान विष्णु पृथु के नाम से प्रकट हुए।


ऋषभ देव अवतार ( - नौवीं बार राज नाभि की पतिव्रता पत्नी सुदेवी के गर्भ से भगवान विष्णु ऋषभ देव के नाम से अवतरित हुए।


हयग्रीव अवतार ( - दसवीं बार भगवान विष्णु ने हयग्रवी के रूप में अवतार धारण किया।


ग्यारहवीं बार भगवान विष्णु ने चाक्षुष मन्वन्तर के समाप्त होने पर राजर्षि सत्यव्रत ने मत्स्य भगवान के दर्शन किये।


कच्छप अवतार (- बारहवीं बार क्षीरसागर मन्थन करते समय भगवान ने कच्छप अवतार धारण किया और मन्दराचल पर्वत को अपनी पीठ पर धारण किया।


नृसिंह अवतार ( - तेरहवीं बार भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यपु दैत्य का संहार करने के लिए नृसिंह अवतार धारण करके भक्त प्रह्लाद की रक्षा की।


चौदहवीं बार भगवान विष्णु ने गज और ग्राह के युद्ध के दौरान गज की प्रार्थना पर गज की रक्षा करने के लिए अवतार धारण किया।


वामन अवतार (- पंद्रहवीं बार भगवान विष्णु ने इन्द्र तथा देवताओं की प्रार्थना सुनकर बालि से इन्द्र को उसका राज्य वापस दिलाने के लिए वामन अवतार धारण किया।


सोलहवीं बार भगवान विष्णु ने नारद की भक्ति से प्रसन्न होकर हंस अवतार धारण किया।


सत्रहवीं बार भगवान विष्णु ने मनुष्यों की रक्षा के लिए स्वयंभुव मनु का अवतार धारण किया।


धन्वन्तरि अवतार (- अठारहवीं बार भगवान विष्णु ने आयुर्वेद की रचना करने के लिए धन्वन्तरि अवतार धारण किया।


परशुराम अवतार ( - उन्नीसवीं बार क्षत्रियों के ब्राह्मण द्रोही हो जाने पर धर्म की मर्यादा की रक्षा करने के लिए परशुराम अवतार धारण किया।


राम अवतार ( - बीसवीं बार भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में रावण तथा उसके सहयोगी दैत्यों के अत्याचार से मनुष्यों को मुक्ति दिलाने के लिए श्री राम अवतार धारण किया।


कृष्ण अवतार ( - इक्सीवीं बार भगवान विष्णु ने द्वापर युग में दैत्यों के अत्याचार का दमन करने के लिए श्री कृष्ण अवतार धारण किया।


बुद्ध अवतार ( - बाइसवीं बार भगवान विष्णु ने बुद्ध के रूप में अवतार धारण किया।


कल्कि अवतार (- तेईसवीं बार भगवान विष्णु कलियुग में कल्कि अवतार धारण करेंगे।


भगवान विष्णु स्वयं सदा के लिए अपने चौबीसवें अवतार हैं।


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