शनिवार, 29 जून 2019

सर्पों के प्रकार +++तथा बिष से बचने के उपाय

+++++सर्पों के प्रकार +++तथा बिष से बचने के उपाय ++++++++++वेद,उपनिषद,तथा पौराणिक पान्डुलिपियों का गहन अध्यन करने के बाद------
शोध कर्ता----- आचार्य डा.अजय दीक्षित-------"अजय "
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+++++++  सर्पों  के  प्रकार  ++++++++++
सर्प दो प्रकार  के होते हैं ।
१--- दिव्य सर्प
२---भौम सर्प
------------------दिव्य  सर्प  ---------
ये इस पृथ्वी का भार उठाने वाले होते हैं ।अगर ये कुपित हो जायें, तो अपनी फुफकार मात्र से सम्पूर्ण जगत को दग्ध कर सकते हैं ।
इनके डसने की कोई दवा नही है ।
इनके बिष को केवल मंत्र शक्ति से उतारा जा सकता है।
------------+ दिव्य सर्पों के नाम ---+--+++-+
१--शेषनाग(अनन्त)  २--कुलिक
   ये दोनो ब्राहम्ण वर्ण के है। शेषनाग का रंग अग्नि के समान है। कुलिक ,का रंग उज्ज्वल है ।
   इनके  १,००० फण हैं ।
३--- वासुकि ,४---शंखपाल
ये दोनों क्षत्रिय वर्ण के हैं । इनका रंग पीला है।
वासुकि के ७०० तथा शंख पाल के ८०० फण हैं ।
५---तक्षक ,६-- महापद्म
ये दोनों वैश्य वर्ण के हैं ।इनका रंग नीला है ।
इनदोनों के ५०० फण हैं ।
७---पद्म, ८--कर्कोटक
ये दोनों शूद्र वर्ण के हैं ।
इनका रंग सफेद है (श्वेत)
इन दोनों के ३०० फण हैं ।
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इनके बिष का पतन करने के लिए, निम्नलिखित मंत्र
रामबाण है।
---------------मंत्र -----------------+
ऊँ नमो भगवते नीलकण्ठाय  चि: । अमलकण्ठाय चि:।
सर्वग्यकण्ठाय चि:। क्षिप क्षिप ऊँ स्वाहा । अमलनीलकण्ठाय नैकसर्पविषापहाय ।नमस्ते रूद्र मन्वये ।
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------इस मंत्र केा पढकर झाडने से समस्त प्रकार के विष नष्ट हो जाते हैं।
   इसमे सन्देह नही है ।
होली के दिन विधि पूर्वक मंत्र सिद्ध करके प्रयोग करें ।
------------------------भौम सर्प ८० प्रकार के होते हैं । जो आज कल पृथ्वी पे पाये जाते हैं।
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