नारीकी महिमा :-
जिस नारीने आपको सृष्टि किया वह माँ , ब्रह्माकुमारी हे ।
जिस नारीने आपको पालनपोषण करके बडा किया वह माँ , विष्णुकुमारी हे ।
जिस नारीने आपका दुर्गुण और खराब आचरणको नष्ट किया वह माँ , महेश्वरी हे ।
जिस नारीने आपको शिक्षा दिक्षा दी वह गुरुमाँ,सरस्वती हे ।
जिस नारीने आपको धन बरसाया वह माँ , लक्ष्मी हे ।
जिस नारीने आपको तमाचा मारा वह माँ , दुर्गा हे ।
जिस नारीने आपको बडे भैया कहा , वह छोटी बहेन हे
जिस नारीने आपको भैया कहा , वह बडी बहेन हे ।
जिस नारीने आपको बाबा कहा , वह आपकी परम पुत्री हे ।
जिस नारीने आपको जीजाजी कहा , वह आपकी साली हे । जिस नारीने आपको पतिपरमेस्वोर कहा , वह आपकी घरवाली हे ।
जिस नारीने आपको समयसमय पर अवसर दिया , वह आपकी बाहरवाली हे ।
जिस नारीने आपको बहुत प्रशंसा करता हे , वह आपकी प्रशंसक (Fan) हे ।
जिस नारीने आपको दामाद कहा , वह आपकी सांस माँ हे ।
जिस नारीने आपको गुरु कहा , वह आपकी दिव्य शिष्य हे ।
जिस नारीने आपको भगवान कहा, वह आपकी दिव्यभक्त हे ।
जिस नारीने आपको मालीक कहा , वह आपकी दासी हे ।
जिस नारीने आपको बहुत चाहती , वह आपकी प्यासी हे ।
जिस नारीने आपको मामा कहा , वह आपकी भाञ्जी हे ।
नारी परमात्मा , परम माताकी ही स्वरुप हे ।
नारी एक हो के अनेक रुप हे ।
कोई लम्बी हे , कोई छोटी हे ।
कोई काली हे , कोई गोरी हे ।
कोई मोटी हे , कोई पतली हे ।
अनेक रुप हो के अनेक नाम हे ।
अनेक नाम हो के अनेक गुण हे ।
अनेक गुण हो के अनेक वर्ण हे ।
अनेक वर्ण हो के अनेक धुन हे ।
अनेकतामा एकता हे ।
एकता में अनेकता हे ।
रुप अनेक ।
नाम अनेक ।
गुण अनेक ।
वर्ण अनेक ।
पर , प्रेम एक ।
जीवन एक ।
करुणा एक ।
माँ एक ।
माँ शब्द एक हे ।
शब्द एक हो के अनेक हे ।
माँ को कोई भी नाम से पुकारे माँ सुनता हे ।
आमा कहो या अम्मा कहो ।
मदर कहो या मम्मी कहो ।
देवी कहो या भगवती कहो ।
काली कहो या महाकाली कहो ।
दक्षिणकाली कहो या दन्तकाली काली कहो ।
भद्रकाली कहो या गोरखकाली कहो ।
मनकामना कहो या पाथीभरा कहो ।
कोई भी नामसे पुकारो माँ सुनता हे पर दिलसे पुकारो !
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