शुक्रवार, 23 जून 2017

पूजा में परिक्रमा- क्यों करें, कैसे करें, कितनी करें? 🎪डा.अजय दीक्षित 🎪

पूजा में परिक्रमा- क्यों करें, कैसे करें, कितनी करें?

पूजा करते समय देवी-देवताओं की परिक्रमा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है भगवान की परिक्रमा से अक्षय पुण्य मिलता है और पाप नष्ट होते हैं। इस परंपरा के पीछे धार्मिक महत्व के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है। जिन मंदिरों में पूरे विधि-विधान के साथ देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित की जाती है, वहां मूर्ति के आसपास दिव्य शक्ति हमेशा सक्रिय रहती है। मूर्ति की परिक्रमा करने से उस शक्ति से हमें भी ऊर्जा मिलती है। इस ऊर्जा से मन शांत होता है। जिस दिशा में घड़ी की सुई घुमती है, उसी दिशा में परिक्रमा करनी चाहिए, क्योंकि दैवीय ऊर्जा का प्रवाह भी इसीप्रकार रहता है।


किस भगवान की कितनी परिक्रमा करना चाहिए

1. श्रीकृष्ण की 3 परिक्रमा करनी चाहिए।

2. देवी की 1 परिक्रमा करनी चाहिए।

3. भगवान विष्णुजी एवं उनके सभी अवतारों की चार परिक्रमा करनी चाहिए।

4. श्रीगणेशजी और हनुमानजी की तीन परिक्रमा करने का विधान है।

5. शिवजी की आधी परिक्रमा करनी चाहिए, क्योंकि शिवजी के अभिषेक की धारा को लाघंना अशुभ माना जाता है।

परिक्रमा करते समय ध्यान रखनी चाहिए ये बातें

1. जिस देवी-देवता की परिक्रमा की जा रही है, उनके मंत्रों का जप करना चाहिए।

2. भगवान की परिक्रमा करते समय मन में बुराई, क्रोध, तनाव जैसे भाव नहीं होना चाहिए।

3. परिक्रमा नंगे पैर ही करना चाहिए।

4. परिक्रमा करते समय बातें नहीं करना चाहिए। शांत मन से परिक्रमा करें।

5. परिक्रमा करते समय तुलसी, रुद्राक्ष आदि की माला पहनेंगे तो बहुत शुभ रहता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें