बुधवार, 9 अक्टूबर 2019

चंद्र ग्रह का ज्योतिष और हिन्दू धर्म में क्या इतिहास रहा है?

चंद्र ग्रह का ज्योतिष और हिन्दू धर्म में क्या इतिहास रहा है?


आचार्य डा.अजय दीक्षित

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असल में चंद्र कोई ग्रह नहीं बल्कि धरती का उपग्रह माना गया है। पृथ्वी के मुकाबले यह एक चौथाई अंश के बराबर है। पृथ्वी से इसकी दूरी 406860 किलोमीटर मानी गई है। चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा 27 दिन में पूर्ण कर लेता है। इतने ही समय में यह अपनी धुरी पर एक चक्कर लगा लेता है। 15 दिन तक इसकी कलाएं क्षिण होती है तो 15 दिन यह बढ़ता रहता है। चंद्रमा सूर्य से प्रकाश लेकर धरती को प्रकाशित करता है।
 


 


हिन्दू धर्म में चंद्र ग्रह और चंद्र देव दो अलग अलग सत्ता है। चंद्रदेव के नाम पर ही चंद्र ग्रह का नामकरण हुआ है। कालांतार में दोनों को एक दूसरे से जोड़ दिया गया। आओ जानते हैं कि हिन्दू धर्म में चंद्र ग्रह का इतिहास क्या रहा है।
 

 


पुराणों अनुसार देव और दानवों द्वारा किए गए सागर मंथन से जो 14 रत्न निकले थे उनमें से एक चंद्रमा भी थे जिन्हें भगवान शंकर ने अपने सिर पर धारण कर लिया था। वेद और पुराणों में चंद्र ग्रह और चंद्र देव से संबंधित अनेक कहानियां मिलती है।

 


चंद्र देव

।ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः।

चंद्र देवता हिंदू धर्म के अनेक देवतओं मे से एक हैं उन्हें जल तत्त्व का देव कहा जाता है। चंद्रमा की महादशा दस वर्ष की होती है। चंद्रमा के अधिदेवता अप्‌ और प्रत्यधिदेवता उमा देवी हैं। श्रीमद्भागवत के अनुसार चंद्रदेव महर्षि अत्रि और अनुसूया के पुत्र हैं। इनको सर्वमय कहा गया है। ये सोलह कलाओं से युक्त हैं। इन्हें अन्नमय, मनोमय, अमृतमय पुरुषस्वरूप भगवान कहा जाता है।

 


प्रजापितामह ब्रह्मा ने चंद्र देवता को बीज, औषधि, जल तथा ब्राह्मणों का राजा बनाया। चंद्रमा का विवाह राजा दक्ष की सत्ताईस कन्याओं से हुआ। ये कन्याएँ सत्ताईस नक्षत्रों के रूप में भी जानी जाती हैं, जैसे अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी आदि। चंद्रदेव की पत्नी रोहिणी से उनको एक पुत्र मिला जिनका नाम बुध है। चंद्र ग्रह ही सभी देवता, पितर, यक्ष, मनुष्य, भूत, पशु-पक्षी और वृक्ष आदि के प्राणों का आप्यायन करते हैं। 



चंद्रमा क्या है?


देवता : शिव

गोत्र : अत्रि

दिशा : वायव

दिवस : सोमवार

वस्त्र : धोती

पशु : घोड़ा


अंग : दिल, बांया भाग।

पेशा : कुम्हार, झींवर।

वस्तु : चांदी, मोती, दुध।

स्वभाव : शीतल और शांत।


वर्ण-जाति : श्वेत, ब्राह्मण।

विशेषता : दयालु, हमदर्द।

भ्रमण : एक राशि में सवा दो दिन।

नक्षत्र : रोहिणी, हस्त और श्रवण।


गुण : माता, जायजाद जद्दी,शांति

वृक्ष : पोस्त का हरा पौधा, जिसमें दूध हो।

शक्ति : सुख शांति का मालिक, माता का प्यारा, पूर्वजों का सेवक।


वाहन : हिरण, श्वेत रंग के दस घोड़ों से चलने वाला हीरे जड़ीत तीन पहियों वाला रथ है।

राशि : नक्षत्रों और कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा के मित्र सूर्य,बुध। राहु और केतु शत्रु है। मंगल, गुरु, शुक्र और शनि सम हैं। राहु के साथ होने से चंद्र ग्रहण।


अन्य नाम : सोम, रजनीपति, रजनीश, शशि, कला, निधि, इंदू, शशांक, शितांसु, मृगांक, सुधाकर और मयंक।
 


 


यह एक राशि में यह सवा दो दिन रहता है। इसकी शक्ति सुख शांति देने की है। माता का प्यारा, पूर्वजों का सेवक। नक्षत्रों और कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा के मित्र सूर्य, बुध। राहु और केतु शत्रु है। मंगल, गुरु, शुक्र और शनि सम हैं। चंद्र ग्रह ही सभी देवता, पितर, यक्ष, मनुष्य, भूत, पशु-पक्षी और वृक्ष आदि के प्राणों का आप्यायन करते हैं।


ज्योतिष में चंद्र ग्रह का विशेष स्थान है। ज्योतिष में इसके द्वारा व्यक्ति की चंद्र राशि ज्ञात होती है। जन्म कुंडली में स्थित 12 भावों में चंद्र ग्रह का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। चंद्रमा नौ ग्रहों के क्रम में सूर्य के बाद दूसरा ग्रह है। वैदिक ज्योतिष में यह मन, माता, मानसिक स्थिति, मनोबल, द्रव्य वस्तुओं, यात्रा, सुख-शांति, धन-संपत्ति, रक्त, बायीं आंख, छाती आदि का कारक होता है।
 


 


इसका आकार ग्रहों में सबसे छोटा है परंतु इसकी गति सबसे तेज़ होती है। चंद्रमा के गोचर की अवधि सबसे कम होती है। यह लगभग सवा दो दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में संचरण करता है। चंद्र ग्रह की गति के कारण ही विंशोत्तरी, योगिनी, अष्टोत्तरी दशा आदि चंद्र ग्रह की गति से ही बनती हैं। वहीं वैदिक ज्योतिष शास्त्र में राशिफल को ज्ञात करने के लिए व्यक्ति की चंद्र राशि को आधार माना जाता है। जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है वह जातकों की चंद्र राशि कहलाती है।
 

 


दरअसल ब्राह्मांड की उत्पत्ति किस तरह हुई तथा कौन-सा ग्रह, नक्षत्र या तारा कब जन्मा और उसके जन्म की कहानी क्या है तथा उसका किस तारे या ग्रह से संबंध है यह सब बताने के लिए पुराणों ने उक्त घटनाओं को मिथकीय रूप दिया। लेकिन आज विज्ञान के युग में यह समझ पाना कठिन ही है कि चंद्र नामक कोई देव कैसे ग्रह हो सकता है? जबकि प्रत्यक्ष ज्ञान कहता हैं कि यह एक ठोस ग्रह है जिस पर मानव ने अपने कदम रख दिए हैं और किसी भी दिन इस पर बस्ती बसाई जा सकेगी।



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