शनिवार, 11 अगस्त 2018

महा शिवलिंग स्तोत्र ___आचार्य,डा.अजय दीक्षित द्वारा रचित ------

महाशिवलिंग स्तोत्र – डा.अजय दीक्षित द्वारा रचित
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                              || राम ॥
|| महाशिवलिंग स्तोत्र ||

ॐ गं गणपतये नम:ॐक्षें क्षेत्रपालाय नमो नम:|
ॐ नं नन्दिने नम: ॐ कुं कुलदेवतायै नमो नम: ||
ॐ धां धात्रे विधात्रे नम:ॐ मं महाकालाय नमो नम: |
ॐ धर्माय नम: ॐ हूं विश्वमूर्तये शिवाय नम: ||
|| राम ||

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दोहा—

चरणकमल गुरू के ह्रदय धरौं नवावहुं माथ ।
गुरू हरि हर माँ शारदे धरौ शीश पे हाथ ।।१||
भूतनाथ भूतेश्वर भोले मम् अनाथ के नाथ ।
रोग,दोष सब जारि दो सुमिरूँ दीनानाथ ।।२।।

|| राम ||

चौपाई:—

जग कर्ता-धर्ता जगदीश्वर ।
विश्वरूप विश्वनाथ विशेश्वर ।।
लिंगरूप धर प्रगटेव भूपर ।
प्रथम महालिंग ओंकारेश्वर ।।
जग जन्मा तुमसे परमेश्वर ।
जगत रचैता हैं श्री हरि हर ।।१||

लोचन दिव्य द्वितीय त्रिलोचन।
भयहारी शिव भव भय मोचन ।।
धराधाम अनुपम है काशी ।
जहाँ बिराजे शिव कैलाशी ।।
महादेव लिंग सत अविनाशी ।
काम,क्रोध अवगुण तम् नाशी ।।२||

चतुर्थ महालिंग शिव कृतिवासा ।
अजय रूप दर्शन की आशा ।।
ह्रदय करहु हमरे हर बासा’ ।
हरहु दुख दारिद करहु नाशा।।३||

तुम्हरे बिन नहि कोउ हमारा ।
उमापती बस तोर सहारा ।।
तारकासुर जैसे संघारा ।
वृत्तासुर को आप ने मारा ।।
वैसे मम् रिपु हनौ सब भाँती ।
नम: शिवाय जपहुं दिन राती ।।४||

पंचम रत्नेश्वर की माया ।
माया में ब्रहमांड समाया ।।
दिव्य करौ अजय की काया ।
माया ने मन को भरमाया ।।५||

षष्टं चन्द्रेश्वर छवि भाई ।
अजय छवी है ह्रदय बसाई ।।
गिरजापति भैरव कपिराई ।
हरहु रोग हरि हर रघुराई ।।
सप्तम् केदारेश्वर बलशाली ।
शक्तिपुंज संग माँ महाकाली ।।६||

अष्टम धर्मेश्वर गुणकारी ।
धर्म ध्वजा कर धर्म सवारी ।।
अग्नि रूप हर प्रलयंकारी ।
हनौ सकल अवगुण तिरपुरारी ।।७||

नवम् महालिंग हर वीरेश्वर ।
दशम् लिंग सदाशिव कामेश्वर ।।
विषय वासना जारौ स्वामी ।
रूद्र एकादश अन्तर्यामी ।।८||

विश्वकर्मेश्वर लिंग निराला ।
महालिंग एकादश आला ।।
मणिकर्णीश्वर मन को भावें ।
भूत,पिशाच पास नहि आवें ।।
मुक्त क्षेत्र शिव अविमुक्तेश्वर ।
हरहु दुख दारिद जगदीश्वर ।।
रूप चतुर्दश नाथ विशेश्वर ।
परम् शक्ति हरि हर परमेश्वर ।।९||

|| राम ||

दोहा—

ॐशैलेश्वर,शान्तेश्वर,ज्येष्ठेश्वर प्रभु नाम ।
ॐसंगमेश्वर,स्वलींनेश्वर,मध्यमेश्वर काशीधाम ।।१||

ॐहिरण्यगर्भेश्वर,ईशानेश्वर,उपशान्तेश्वर नाथ ।
ॐवृषभध्वजेश्वर,निवासेश्वर,शुक्रेश्वर विश्वनाथ ।।२||

ॐव्याघ्रेश्वर हर व्याधि हरौ हरौ ताप संताप ।
ॐजम्बुकेश्वर करहु कृपा व्यापे तन न पाप ।।३||

कृपा आप की जब भई रच गई रचना नाथ।
काशी काशी रट रहा अजय -हे काशीनाथ ।।४||
|| राम ||
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प्रति दिन 18पाठ करके 5 बेल पत्र शिव लिंग को समर्पित करें ।
और अपने मन की इच्छा जाहिर करें
आप की मनोकामना जरूर पूरी होगी ।।
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जय सियाराम जय जय हनुमान

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