मंगलवार, 28 अगस्त 2018

महाभारत कालीन नदियां

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शनिवार, 11 अगस्त 2018

अजय

महा शिवलिंग स्तोत्र ___आचार्य,डा.अजय दीक्षित द्वारा रचित ------

महाशिवलिंग स्तोत्र – डा.अजय दीक्षित द्वारा रचित
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रावण कृत शिव तांडव स्तोत्र का सरल हिंदी भाषा में डा.अजय दीक्षित “अजय” द्वारा पद्य रूपान्तर



।।।।।।। हरी 🕉️ नमः शिवाय ।।।।।।।
आचार्य,डा.अजय दीक्षित
🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯रावण कृत शिव तांडव स्तोत्र का सरल हिंदी भाषा में डा.अजय दीक्षित “अजय” द्वारा पद्य रूपान्तर
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                ।। अथ शिव तांडव स्तोत्र प्रारम्भ ||
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दोहा:-
शिव प्रेरित मम आत्मा परमेश्वर शिव जानि ।
शिवताण्डव दशवदनकृत भाषा कियो बखानि ।।
कवितामध्य बसि शारदा “अजय” शरण त्रिपुरारि।
बिगरे भूले वरन को दीजो सुबुध सुधारि ।।

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(१)
जटा अरण्य रूप ते प्रवाह गंग को बहै।
गले लसै भुजंग माल तासु शोभा को कहै ।।
बजाय हस्त डामरू जो उग्र नृत्य को करै ।
सोई महेश अजय के क्लेश को सदा हरै ।।

(२)
जटान के समूह में जो देवि गंग राजहीं ।
सो तासु तोय की तरंग तुंग शुभ्र भ्राजहीं ।।
कोटि चन्द्र अग्नि ज्वाल जासु भाल में लसै ।
सोई महेश शोभा आनि चित्त अजय के बसै ।।


(३)
भवानि के अनूप नैन सैन हाव भाव में ।
सदा निमग्न ही रहै सो जासु चित्त चाव में ।।
कृपा कटाक्ष हेरिकै समस्त आपदा हरै ।
सोई महेश मो मनै प्रमोद आनि विस्तरैं ।।

(४)
जटान में फणीन की मणिप्रभा उदोत है ।
विलेप सो दिशा बधून के मुखाग्र होत है ।।
गयंद चर्म वस्त्र चारू जासु अंग में लसै ।
सोई महेश को स्वरूप अजय चित्त में बसै ।।


(५)
लिलार मध्य जासु के प्रचंड अग्नि झार है ।
भयो जहाँ मनोज सो बलिष्ठ मार छार है ।।
नवें जिन्हें सुरेन्द्र शीश गंग चन्द्र रेख है ।
सोई महेश देनहार सम्पदा अशेष हैं ।।

(६)
सहस्त्र लोचनादि दै जिसे समस्त देव हैं ।
सदैव पाद पद्म जासु धाय धाय के गहैं ।।
जटान जूट मध्य जासु वासुकी विहार है ।
सोई महेश श्री चिरायु भक्ती देनहार है ।।

(७)
महाकराल भाल माहि जासु के कृशान हैं ।
भयो जहाँ मनोज सो बलिष्ठ ऩाशमान हैं ।।
जो गौरि के कुचाग्र को विचित्र चित्रकार हैं ।
सोई महेश को स्वरूप प्राण को अधार हैं।।

(८)
पियो जो कालकूट कंठ कालिमा रली भली ।
कूहू निशार्थ की मनौ विचित्र मेघ मंडली ।।
कुरंग चर्म कांखि शीश गंग चन्द्र भाल है ।
सोई महेश अजय पै सदैव ही दयाल है ।।

(९)
अनूप ग्रीव मध्य कालकूट कालिमा लसै ।
प्रफुल्ल नीलकंज की प्रभा विलोकि कै त्रसै ।।
हनी पुरारि नैन सैन मैन अंत कै गजै ।
सोई महेश को स्वरूप सदाही अजय भजै ।।

(१०)
अनूप रूप मंगला कला निधान वृक्ष हैं।
दिव्य मंजरीन ते रस प्रवाह स्वक्ष हैं ।।
सो चाखि तासु माधुरी जो भौंर लौं सदा भ्रमैं ।
सोई महेश के चरित्र माहि है अजय रमैं ।।

(११)
प्रकाशमान जासु के प्रचंड अग्नि भाल है ।
जटान मध्य फुंकरै महाकराल व्याल है ।।
मृदंग जासु नृत्यु में धिमिं धिमिं धिमिं बजै ।
सोई महेश गौरीनाथ की सदैव होय जय ।।
।। ऊँ पूर्ण शिवं धीमहि ।।

(१२)
पखान सेज पुष्प की समान जानिहौं कबै ।
अमूल्य रत्न लोह एक से प्रमानिहौं कबै ।।
जहांन के समस्त राग द्वेष भानिहौं कबै ।
महेश के पदारविंद चित्त आनिहौं कबै ।।

(१३)
सुबास स्वक्ष गंग नीर तीर ठानिहौं कबै ।
विरक्त ह्वै जहांन की दुरास भानिहौं कबै ।।
शिवेति मंत्र गौरियुक्त को बखानिहौं कबै ।
महेश के पदारविंद चित्त आनिहौं कबै ।।

(१४)
विभूति स्वैद के समेत अंग शोभा है रली ।
परागयुक्त मल्लिका प्रसून की प्रभा दली ।।
अनूप मंगल स्वरूप तेज बेसुमार है ।
सोई महेश श्री विनोद भक्ती देनहार है ।।

(१५ )
विवाह मध्य शैल की सुता जब बनी बनी ।
समस्त सिद्धिदा भई अनूप मंगल ध्वनी ।
सप्रेम कामिनीनि कीन्ह जासु को उचार है ।
सोई महेश मंत्र जै अखण्ड देनहार है ं ।।

(१६)
उमा महेश को गुणानवाद गान जो करै ।
सप्रेम गंगनीर तीर ध्यान चित्त में धरै ।।
समस्त रिद्धि सिद्धि सो भँडार तासु को भरै ।
अजय सो बिना प्रयास भव सिन्धु को तरै ।।

(१७)
पूजा बसान समये दशवक्त्र गीतं
य: शम्भू पूजन मिदं पठति प्रदोषे।।
तस्य स्थिरां रथ गजेन्द्र तुरंग युक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भु: ।।
।। ऊँ नम: शिवाय ।।

इति श्री हिंदी पद्यानुवाद सहितं शिव ताण्डव स्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।

प्रयोग:—-प्रति दिन शिवताण्डव स्तोत्र का पाँच बार पाठ करके पाँच बेलपत्र तथा पाँच श्वेतार्क पुष्प शिव जी को अर्पित करें । अपनी मनोकामना शिव जी से कहैं ।

☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️जय सियाराम जय जय हनुमान

Ajai

बुधवार, 8 अगस्त 2018

कृष्ण के अधीन नव ग्रह*

*कृष्ण के अधीन नव ग्रह*
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*जो जीव एक बार श्री कृष्ण के शरणागत हो जाता है, उसे फिर किसी ज्योतिषी को अपनी ग्रहदशा और जन्म कुंडली दिखाने की आवश्यकता नहीं पड़ती।*

*इसके पीछे का विज्ञान तो यह है कि भगवान् के शरणागत जीव की रक्षा स्वयं भगवान् किया करते हैं।*

*और सब ग्रह, नक्षत्र, देवी देवता श्री कृष्ण की ही शक्तियाँ हैं, सब उनके ही दास हैं। इसलिए भक्त का अनिष्ट कोई कर नहीं सकता और _प्रारब्ध जन्य अनिष्ट को कोई टाल नहीं सकता।_*

*फिर भी कई बार हम अपने हाथों में रंग-बिरंगी अंगूठियाँ पहनकर, जप, दान आदि करके हम अपने ग्रहों को तुष्ट करने में लगे रहते हैं।*

         *श्रीकृष्ण हमारे सखा हैं*
*आइये अब समझें कि किस ग्रह का हमारे सर्व समर्थ श्रीकृष्ण से कैसा संसारी नाता है।*

*जो मृत्यु के राजा हैं यम, वह यमुना जी के भाई हैं, और यमुना जी हैं भगवान की पटरानी, तो यम हुए भगवान के साले, तो हमारे सखा के साले हमारा क्या बिगाड़ेंगे..??*

*सूर्य हैं भगवान के ससुर (यमुना जी के पिता) तो हमारे मित्र के ससुर भला हमारा क्या अहित करेंगे?*

*सूर्य के पुत्र हैं शनि, तो वह भी भगवान के साले हुए, तो शनिदेव हमारा क्या बिगाड़ लेंगे?*

*चंद्रमा और लक्ष्मी जी समुद्र से प्रकट हुए थे। लक्ष्मी जी भगवान की पत्नी हैं, और लक्ष्मी जी के भाई हैं चंद्रमा, क्योंकि दोनों के पिता हैं समुद्र।*
*तो चन्द्रमा भी भगवान के साले हुए, तो वे भी हमारा क्या बिगाड़ेंगे?*

*बुध चंद्रमा के पुत्र हैं, तो उनसे भी हमारे प्यारे का ससुराल का नाता है। हमारे सखा श्रीकृष्ण बुध के फूफाजी हुए, तो भला बुध हमारा क्या बिगाड़ेंगे?*

*बृहस्पति और शुक्र वैसे ही बड़े सौम्य ग्रह हैं, फिर, ये दोनों ही परम विद्वान् हैं, इसलिए श्रीकृष्ण के भक्तों की तरफ इनकी कुदृष्टि कभी हो ही नहीं सकती।*

*राहु-केतु तो बेचारे जिस दिन एक से दो हुए, उस दिन से आज तक भगवान के चक्र के पराक्रम को कभी नही भूले, भला वे कृष्ण के सखाओं की और टेढ़ी नजर से देखने की हिम्मत जुटा पाएँगे?*

*तो अब बचे मंगल ग्रह। ये हैं तो क्रूर गृह, लेकिन ये तो अपनी सत्यभामा जी के भाई हैं। चलो, ये भी निकले हमारे प्यारे के ससुराल वाले। अतः श्रीकृष्ण के साले होकर मंगल हमारा अनिष्ट कैसे करेंगे?*

*इसलिए श्री कृष्ण के शरणागत को किसी भी ग्रह से कभी भी डरने की जरूरत नहीं। संसार में कोई चाहकर भी अब हमारा अनिष्ट नहीं कर सकता।*

*इसलिए निर्भय होकर, डंके की चोट पर श्रीकृष्ण से अपना नाता जोड़े रखिए।*

*_हाँ, जिसने श्रीकृष्ण से अभी तक कोई भी रिश्ता पक्का नहीं किया है, उसे संसार में पग-पग पर ख़तरा है। उसे तो सब ग्रहों को अलग-अलग मनाना पडे़गा। इसलिए ठाकुरजी की शरण रहे और उनकी कृपा से ही संभव होगा के अपने प्रभु पे आसक्ति रहे और अन्य जगह नहीं भटके तो श्रीराधा-वल्लभ जी के शरणागत् रहिये, तो  उन की कृपा से अनुकूल रहेंगे सब ग्रह।_*
     
  *जय जय‌ श्रीराधे....*
*राधे राधे राधे राधे राधे राधे*
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🌲🌹 जय श्री राधेकृष्ण 🌹🌲
वंदन अभिनंदन जी🙏