बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

महा शिवरात्रि की अद्भुत कथा

                             

शिवरात्रि व्रत कथा





डा अजय दीक्षित
Dr Ajai Dixit@gmail.Com

1 टिप्पणी:

  1. किं तस्य बहुभिर्मन्त्रै: किं तीर्थै: किं तपोऽध्वरै:।
    यस्यो नम: शिवायेति मन्त्रो हृदयगोचर:।। (स्कन्दपुराण)
    अर्थात्–‘जिसके हृदय में ‘ॐ नम: शिवाय’ यह मन्त्र निवास करता है, उसके लिए बहुत-से मन्त्र, तीर्थ, तप और यज्ञों की क्या आवश्यकता है!’

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