रविवार, 19 फ़रवरी 2017

तुलसीदास जी कृत संकटमोचन हनुमानाष्टक (हिंदी अनुवाद सहित)


तुलसीदास जी कृत संकटमोचन हनुमानाष्टक (हिंदी अनुवाद सहित)

                                                 


संकटमोचन हनुमानाष्टक एवम हिंदी अर्थ
(Sankatmochan Hanumanashtak With Hindi Translation)

|| राम ||

बाल समय रवि भक्ष लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों |
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो |
देवन आनि करी बिनती तब,
छांड़ दियो रवि कष्ट निवारो |
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो

अर्थात:
बाल्यकाल में जिसने सूर्य को खा लिया था और तीनों लोक में अँधेरा हो गया था | पुरे जग में विपदा का समय था जिसे कोई टाल नहीं पा रहा था | सभी देवताओं ने इनसे प्रार्थना करी कि सूर्य को छोड़ दे और हम सभी के कष्टों को दूर करें | कौन नहीं जानता ऐसे कपि को जिनका नाम ही हैं संकट मोचन अर्थात संकट को हरने वाला है।



बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो |
चौंकि महामुनि साप दियो तब ,
चाहिए कौन बिचार बिचारो |
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो |
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो……………………… – 2

अर्थात:
बाली से डरकर सुग्रीव और उसकी सेना पर्वत पर आकार रहने लगती हैं तब इन्होने ने भगवान राम को इस तरफ बुलाया और स्वयं ब्राह्मण का वेश रख भगवान की भक्ति की इस प्रकार ये भक्तों के संकट दूर करते हैं |

अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो |
जीवत ना बचिहौ हम सो जो ,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो |
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब ,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो |
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो……………………… – 3

अर्थात:
अंगद के साथ जाकर आपने माता सीता का पता किया और उन्हें खोजा एवम इस मुश्किल का हल किया | उनसे कहा गया था – अगर आप बिना सीता माता की खबर लिए समुद्र तट पर आओगे तो कोई नहीं बचेगा | उसी तट पर सब थके हारे बैठे थे जब आप सीता माता की खबर लाये तब सबकी जान में जान आई |

रावण त्रास दई सिय को सब ,
राक्षस सों कही सोक निवारो |
ताहि समय हनुमान महाप्रभु ,
जाए महा रजनीचर मारो |
चाहत सीय असोक सों आगि सु ,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो |
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो……………………… – 4

अर्थात:
रावण ने सीता माता को बहुत डराया और अपने दुखो को ख़त्म करने के लिए राक्षसों की शरण में आने कहा | तब मध्य रात्री समय हनुमान जी वहाँ पहुँचे और उन्होंने सभी राक्षसों को मार कर अशोक वाटिका में माता सीता को खोज निकाला और उन्हें भगवान् राम की अंगूठी देकर माता सीता के कष्टों का निवारण किया |

बान लाग्यो उर लछिमन के तब ,
प्राण तजे सुत रावन मारो |
लै गृह बैद्य सुषेन समेत ,
तबै गिरि द्रोण सो बीर उपारो |
आनि सजीवन हाथ दिए तब ,
लछिमन के तुम प्रान उबारो |
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो……………………… – 5

अर्थात :
रावण के पुत्र इन्द्रजीत के शक्ति के प्रहार से लक्षमण मूर्छित हो जाते हैं उनके प्राणों की रक्षा के लिए हनुमान जी वैद्य सुषेन को उनके घर के साथ उठ लाते हैं | और उनके कहे अनुसार बूटियों के पहाड़ को उठाकर ले आते हैं और लक्षमण को संजीवनी देकर उनके प्राणों की रक्षा करते हैं |

रावन जुध अजान कियो तब ,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो |
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल ,
मोह भयो यह संकट भारो |
आनि खगेस तबै हनुमान जो,
बंधन काटि सुत्रास निवारो |
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो……………………… – 6

अर्थात:
रावण ने जब राम एवम लक्षमण पर नाग पाश चलाया तब दोनों ही मूर्छित हो जाते हैं और सभी पर संकट छा जाता हैं | नाग पाश के बंधन से केवल गरुड़ राज ही मुक्त करवा सकते थे | तब हनुमान उन्हें लाते हैं और सभी के कष्टों का निवारण करते हैं |

बंधु समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो |
देबिन्ह पूजि भलि विधि सों बलि ,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो |
जाये सहाए भयो तब ही ,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो |
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो……………………… – 7

अर्थात:
एक समय जब अहिरावण एवम मही रावण दोनों भाई भगवान राम को लेकर पाताल चले जाते हैं तब हनुमान अपने मंत्र और साहस से पाताल जाकर अहिरावन और उसकी सेना का वध कर भगवान् राम को वापस लाते हैं |

काज किये बड़ देवन के तुम ,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो |
कौन सो संकट मोर गरीब को ,
जो तुमसे नहिं जात है टारो |
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु ,
जो कछु संकट होए हमारो |
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो……………………… – 8

अर्थात:
भगवान् के सभी कार्य किये तुमने और संकट का निवारण किया मुझ गरीब के संकट का भी नाश करो प्रभु | तुम्हे सब पता हैं और तुम्ही इनका निवारण कर सकते हो | मेरे जो भी संकट हैं प्रभु उनका निवारण करों |

दोहा
लाल देह लाली लसे , अरु धरि लाल लंगूर |
वज्र देह दानव दलन , जय जय जय कपि सूर ||

अर्थात:
लाल रंग का सिंदूर लगाते हैं ,देह हैं जिनकी भी जिनकी लाल हैं और लंबी सी पूंछ हैं वज्र के समान बलवान शरीर हैं जो राक्षसों का संहार करता हैं ऐसे श्री कपि को बार बार प्रणाम |

संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ अगर आप उसका हिंदी अनुवाद जान कर करेंगे तो आपको यह पाठ और अधिक पसंद आएगा | हमें संस्कृत भाषा का ज्ञान नहीं हैं इसलिए हमने हिंदी पाठको के लिए इस संकट मोचन हनुमान अष्टक का हिंदी अनुवाद लिखा हैं |

साथ ही आप इसे सुन भी सकते हैं और इसे गुनगुना सकते हैं, इससे आपको बहुत अच्छा लगेगा और कुछ दिनों में यह संकट मोचन हनुमान अष्टक आपको याद भी हो जायेगा |

जय सियाराम
जय हनुमान

|| डा.अजय दीक्षित ॥
Drajaidixit@gmail.com

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