रविवार, 30 सितंबर 2018

जब आप किताब को सीधा पढ़े तो रामायण की कथा पढ़ी जाए और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़े तो कृष्ण भागवत की कथा

अद्भुत🤗🙏💐रोचक ☺️

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क्या ऐसा ग्रंथ किसी अन्य धर्म मैं है ?
इसे तो सात आश्चर्यों में से पहला आश्चर्य माना जाना चाहिए ---

यह है दक्षिण भारत का एक ग्रन्थ

क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो रामायण की कथा पढ़ी जाए और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़े
तो कृष्ण भागवत की कथा सुनाई दे।

जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ "राघवयादवीयम्" ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है।

इस ग्रन्थ को
‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे
पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और
विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं 60 श्लोक।

पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव (राम) + यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है ~ "राघवयादवीयम।"

उदाहरण के तौर पर पुस्तक का पहला श्लोक हैः

वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥

अर्थातः
मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूं, जो
जिनके ह्रदय में सीताजी रहती है तथा जिन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए सहयाद्री की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वापिस लौटे।

विलोमम्:

सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥

अर्थातः
मैं रूक्मिणी तथा गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के
चरणों में प्रणाम करता हूं, जो सदा ही मां लक्ष्मी के साथ
विराजमान है तथा जिनकी शोभा समस्त जवाहरातों की शोभा हर लेती है।

" राघवयादवीयम" के ये 60 संस्कृत श्लोक इस प्रकार हैं:-

राघवयादवीयम् रामस्तोत्राणि
वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥

विलोमम्:
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥

साकेताख्या ज्यायामासीद्याविप्रादीप्तार्याधारा ।
पूराजीतादेवाद्याविश्वासाग्र्यासावाशारावा ॥ २॥

विलोमम्:
वाराशावासाग्र्या साश्वाविद्यावादेताजीरापूः ।
राधार्यप्ता दीप्राविद्यासीमायाज्याख्याताकेसा ॥ २॥

कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवापिका ।
सारसारवपीनासरागाकारसुभूरुभूः ॥ ३॥

विलोमम्:
भूरिभूसुरकागारासनापीवरसारसा ।
कापिवानघसौधासौ श्रीरसालस्थभामका ॥ ३॥

रामधामसमानेनमागोरोधनमासताम् ।
नामहामक्षररसं ताराभास्तु न वेद या ॥ ४॥

विलोमम्:
यादवेनस्तुभारातासंररक्षमहामनाः ।
तां समानधरोगोमाननेमासमधामराः ॥ ४॥

यन् गाधेयो योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्येसौ ।
तं ख्यातं शीतं स्फीतं भीमानामाश्रीहाता त्रातम् ॥ ५॥

विलोमम्:
तं त्राताहाश्रीमानामाभीतं स्फीत्तं शीतं ख्यातं ।
सौख्ये सौम्येसौ नेता वै गीरागीयो योधेगायन् ॥ ५॥

मारमं सुकुमाराभं रसाजापनृताश्रितं ।
काविरामदलापागोसमावामतरानते ॥ ६॥

विलोमम्:
तेन रातमवामास गोपालादमराविका ।
तं श्रितानृपजासारंभ रामाकुसुमं रमा ॥ ६॥

रामनामा सदा खेदभावे दया-वानतापीनतेजारिपावनते ।
कादिमोदासहातास्वभासारसा-मेसुगोरेणुकागात्रजे भूरुमे ॥ ७॥

विलोमम्:
मेरुभूजेत्रगाकाणुरेगोसुमे-सारसा भास्वताहासदामोदिका ।
तेन वा पारिजातेन पीता नवायादवे भादखेदासमानामरा ॥ ७॥

सारसासमधाताक्षिभूम्नाधामसु सीतया ।
साध्वसाविहरेमेक्षेम्यरमासुरसारहा ॥ ८॥

विलोमम्:
हारसारसुमारम्यक्षेमेरेहविसाध्वसा ।
यातसीसुमधाम्नाभूक्षिताधामससारसा ॥ ८॥

सागसाभरतायेभमाभातामन्युमत्तया ।
सात्रमध्यमयातापेपोतायाधिगतारसा ॥ ९॥

विलोमम्:
सारतागधियातापोपेतायामध्यमत्रसा ।
यात्तमन्युमताभामा भयेतारभसागसा ॥ ९॥

तानवादपकोमाभारामेकाननदाससा ।
यालतावृद्धसेवाकाकैकेयीमहदाहह ॥ १०॥

विलोमम्:
हहदाहमयीकेकैकावासेद्ध्वृतालया ।
सासदाननकामेराभामाकोपदवानता ॥ १०॥

वरमानदसत्यासह्रीतपित्रादरादहो ।
भास्वरस्थिरधीरोपहारोरावनगाम्यसौ ॥ ११॥

विलोमम्:
सौम्यगानवरारोहापरोधीरस्स्थिरस्वभाः ।
होदरादत्रापितह्रीसत्यासदनमारवा ॥ ११॥

यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे ।
सागताहिवियाताह्रीसतापानकिलोनभा ॥ १२॥

विलोमम्:
भानलोकिनपातासह्रीतायाविहितागसा ।
वेदयानस्तयासारदाताधीघनयानया ॥ १२॥

रागिराधुतिगर्वादारदाहोमहसाहह ।
यानगातभरद्वाजमायासीदमगाहिनः ॥ १३॥

विलोमम्:
नोहिगामदसीयामाजद्वारभतगानया ।
हह साहमहोदारदार्वागतिधुरागिरा ॥ १३॥

यातुराजिदभाभारं द्यां वमारुतगन्धगम् ।
सोगमारपदं यक्षतुंगाभोनघयात्रया ॥ १४॥

विलोमम्:
यात्रयाघनभोगातुं क्षयदं परमागसः ।
गन्धगंतरुमावद्यं रंभाभादजिरा तु या ॥ १४॥

दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा ।
ससमानवतानेनोभोग्याभोनतदासन ॥ १५॥

विलोमम्:
नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः ।
हारिकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डदम् ॥ १५॥

सोरमारदनज्ञानोवेदेराकण्ठकुंभजम् ।
तं द्रुसारपटोनागानानादोषविराधहा ॥ १६॥

विलोमम्:
हाधराविषदोनानागानाटोपरसाद्रुतम् ।
जम्भकुण्ठकरादेवेनोज्ञानदरमारसः ॥ १६॥

सागमाकरपाताहाकंकेनावनतोहिसः ।
न समानर्दमारामालंकाराजस्वसा रतम् ॥ १७ विलोमम्:
तं रसास्वजराकालंमारामार्दनमासन ।
सहितोनवनाकेकं हातापारकमागसा ॥ १७॥

तां स गोरमदोश्रीदो विग्रामसदरोतत ।
वैरमासपलाहारा विनासा रविवंशके ॥ १८॥

विलोमम्:
केशवं विरसानाविराहालापसमारवैः ।
ततरोदसमग्राविदोश्रीदोमरगोसताम् ॥ १८॥

गोद्युगोमस्वमायोभूदश्रीगखरसेनया ।
सहसाहवधारोविकलोराजदरातिहा ॥ १९॥

विलोमम्:
हातिरादजरालोकविरोधावहसाहस ।
यानसेरखगश्रीद भूयोमास्वमगोद्युगः ॥ १९॥

हतपापचयेहेयो लंकेशोयमसारधीः ।
राजिराविरतेरापोहाहाहंग्रहमारघः ॥ २०॥

विलोमम्:
घोरमाहग्रहंहाहापोरातेरविराजिराः ।
धीरसामयशोकेलं यो हेये च पपात ह ॥ २०॥

ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासमः ।

हासहायजनासीतानाप्तेनादमनाभुवि  ॥ २१॥

विलोमम्:
विभुनामदनाप्तेनातासीनाजयहासहा ।
ससरागिरिहारीहानोदेवालयकेटता ॥ २१॥

भारमाकुदशाकेनाशराधीकुहकेनहा ।
चारुधीवनपालोक्या वैदेहीमहिताहृता ॥ २२॥

विलोमम्:
ताहृताहिमहीदेव्यैक्यालोपानवधीरुचा ।
हानकेहकुधीराशानाकेशादकुमारभाः ॥ २२॥

हारितोयदभोरामावियोगेनघवायुजः ।
तंरुमामहितोपेतामोदोसारज्ञरामयः ॥ २३॥

विलोमम्:
योमराज्ञरसादोमोतापेतोहिममारुतम् ।
जोयुवाघनगेयोविमाराभोदयतोरिहा ॥ २३॥

भानुभानुतभावामासदामोदपरोहतं ।
तंहतामरसाभक्षोतिराताकृतवासविम् ॥ २४॥

विलोमम्:
विंसवातकृतारातिक्षोभासारमताहतं ।
तं हरोपदमोदासमावाभातनुभानुभाः ॥ २४॥

हंसजारुद्धबलजापरोदारसुभाजिनि ।
राजिरावणरक्षोरविघातायरमारयम् ॥ २५॥

विलोमम्:
यं रमारयताघाविरक्षोरणवराजिरा ।
निजभासुरदारोपजालबद्धरुजासहम् ॥ २५॥

सागरातिगमाभातिनाकेशोसुरमासहः ।
तंसमारुतजंगोप्ताभादासाद्यगतोगजम् ॥ २६॥

विलोमम्:
जंगतोगद्यसादाभाप्तागोजंतरुमासतं ।
हस्समारसुशोकेनातिभामागतिरागसा ॥ २६॥

वीरवानरसेनस्य त्राताभादवता हि सः ।
तोयधावरिगोयादस्ययतोनवसेतुना ॥ २७॥

विलोमम्
नातुसेवनतोयस्यदयागोरिवधायतः ।
सहितावदभातात्रास्यनसेरनवारवी ॥ २७॥

हारिसाहसलंकेनासुभेदीमहितोहिसः ।
चारुभूतनुजोरामोरमाराधयदार्तिहा ॥ २८॥

विलोमम्
हार्तिदायधरामारमोराजोनुतभूरुचा ।
सहितोहिमदीभेसुनाकेलंसहसारिहा ॥ २८॥

नालिकेरसुभाकारागारासौसुरसापिका ।
रावणारिक्षमेरापूराभेजे हि ननामुना ॥ २९॥

विलोमम्:
नामुनानहिजेभेरापूरामेक्षरिणावरा ।
कापिसारसुसौरागाराकाभासुरकेलिना ॥ २९॥

साग्र्यतामरसागारामक्षामाघनभारगौः ॥
निजदेपरजित्यास श्रीरामे सुगराजभा ॥ ३०॥

विलोमम्:
भाजरागसुमेराश्रीसत्याजिरपदेजनि ।स
गौरभानघमाक्षामरागासारमताग्र्यसा ॥ ३०॥

॥ इति श्रीवेङ्कटाध्वरि कृतं श्री  ।।

कृपया अपना थोड़ा सा कीमती वक्त निकाले और उपरोक्त श्लोको को गौर से अवलोकन करें की दुनिया में कहीं भी ऐसा नही पाया गया ग्रंथ है ।

शत् शत् प्रणाम 🙏 ऐसे रचनाकार को।

कहावत

अंधों में काना राजा – मूर्खों में अल्पज्ञ की प्रतिष्ठा
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता – अकेला आदमी कोई बड़ा काम नहीं कर सकता
अधजल गगरी छलकत जाय – थोड़ी विद्या या थोड़ा धन पानेवाला व्यक्ति धमडी होता हैं
अब पछताये होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गयी खेत – मौका चूक जाने पर पछताना बेकार हैं
आँख का अंधा गाँठ का पूरा – मूख धनी
आगे नाथ न पीछे पगहा – बिल्कुल स्वतंत्र, मनमानी करनेवाला, उछूखल
आधा तीतर आधा बटेर – पूरी तरह से किसी एक तरफ नहीं
आम का आम गुठली का दाम – सभी प्रकार से लाभ होना, दूना लाभ उठाना
आप भला तो जग भला – खुद अच्छा तो सभी अच्छे
आँख का अंधा नाम नयनसुख – गुण के विपरीत नाम
आसमान से गिरा खजूर पर अटका – एक मुसीबत से निकलकर दूसरी मुसीबत में पड़ना
आगे कुआँ पीछे खाई – चारों तरफ मुसीबत, दुविधा की स्थिति
ईंट का जवाब पत्थर – ठोस उत्तर
उलटा चोर कोतवाल को डाँटे – कसूरवार स्वयं कसूर पकड़नेवाले को डाँटे
ऊँट के मुँह में जीरा – जरूरत से बहुत कम
ऊँची दुकान फीका पकवान – सिर्फ बाहरी दिखावा
काला अक्षर भैंस बराबर – अक्षर ज्ञान से बिल्कुल शून्य
का बरखा जब कृषि सुखाने – अवसर बीत जाने पर साधन बेकार हो जाते हैं
खोदा पहाड़ निकली चुहिया – परिश्रम की तुलना में फल बहुत कम
जो गरजते हैं वो बरसते नहीं – जो बहुत बोलता हैं वह काम कम करता है
गुड खाये गुलगुले से परहेज – दिखावटी परहेज
गुरु गुड़ चेला चीनी – गुरु से चेला तेज
घर का भेदी लंका ढाहे – आपसी फूट सबसे बड़ी कमजोरी हैं
घर की मुर्गी दाल बराबर – सहज प्राप्त वस्तु को आदर नहीं मिलता
चोर की दाढ़ी में तिनका – दोषी हमेशा चौकन्ना रहता हैं
जिसकी लाठी उसकी भैंस – ताकतवर की जीत
जैसी करनी वैसी भरनी – जैसा काम वैसा फल
डूबते को तिनके का सहारा – असहाय के लिए थोड़ी सहायता भी काफी होती हैं
दूध का जला मट्ठा भी फूंक फूंक कर पीता है – एक बार धोखा खाने के बाद आदमी हमेशा सतक रहता है
देशी मुर्गी विलायती बोल – बेमेल
दूर के ढोल सुहावने – दूर की वस्तु के प्रति अधिक आकर्षण होता है
धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का – किसी काम का ना रहना
नेकी और पूछ पूछ – भलाई करने के लिए किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती
नौ की लकड़ी नब्बे खर्च – थोड़े फायदे के लिए अधिक खच
पाँचों औगुलियाँ घी में – चारों तरफ से लाभ होना
बन्दर क्या जाने आदी (अदरख) का स्वाद – मुर्ख गुण की यहचान नहीं कर सकता
बिल्ली के गले में घंटी – कठिन काम पूरा करना
भई गति साँप छुछुदर केरी – दुविधाजनक स्थिति
रस्सी जल गयी पर ऐंठन न गयी – पतन होने के बाद भी घमंड
सौ चूहे खा के बिल्ली चली हज को – अत्यधिक पाप करने के बाद दिखावटी भक्ति
साँप भी मरा लाठी भी न टूटी – बिना किसी नुकसान के काम बन जाना
हाथ कगन की अरसी क्या – प्रतक्ष्य को प्रमाण की आवशयकता नहीं होती
होनहार बिरवान के होत चीकने पात – होनहार के लक्षण बचपन से ही प्रकट होने लगते हैं
अंधे के हाथ बटेर – मूर्ख के हाथ मूल्यवान वस्तु
अंधे के आगे रोना – अन्यायी से न्याय माँगना
अकल बड़ी या भैंस – बुद्धि बल से बड़ी है
अटकल पच्चे डेढ़ सौ – निराधार जवाब
अपनी डफली अपना राग – सबका अपनी अपनी मर्जी से काम करना
अपना दही खट्टा कौन कहेगा – अपनी चीज सबको अच्छी ही लगती है
अशर्फियों की लूट कोयले पर छाप – मूल्यवान वस्तु को छोडकर तुक्ष वस्तु पर ध्यान देना
आप डूबे तो जग डूबा – बुरा औादमी सबको बुरा समझता है
आये थे हरिभजन को ओटन लगे कपास – पूर्वनिश्चित कार्य को छोड़कर अनिश्चित में लगना
इतनी सी जान गजभर की जबान – देखने में छोटा, लेकिन बात करने में तेज
उघरे अंत न होय निबाहू – भेद खुलने पर दुर्गति निश्चित है
ऊँट किस करवट बैठता है – किसकी जीत होती है
ऊखल में सिर दिया तो मूसल से क्या डरना – कोई उत्तरदायित्व लेने के बाद बाधाओं से नहीं डरना
एकहि साधे सब सधे, सब साधे सब जाय – एकाग्रता से काम बनता है, अनेक ओर ध्यान देने से बिगड़ता है
ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती – अधिक कजूस होने से काम नहीं चलता
कबीरदास की उल्टी बानी, बरसे कबल भीजे पानी – उल्टा काम
कभी घृत घना, कभी मुट्ठी भर चना, कभी वह भी मना – हर स्थिति में संतुष्ट रहना
करघा छोड़ तमाशा जाय, नाहक मार जोलाह खाय – अपने दायित्व से भागनेवाला हानि उठाता है
कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा – इधर उधर से लेकर कोई वस्तु तैयार करना, मौलिकता का अभाव
कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगवा तेली – छोटे की बड़े से तुलना नहीं हो सकती
काजल की कोठरी में धब्बे का डर – बुरी संगति का प्रभाव पडेगा ही
काठ की हाँड़ी दुबारे नहीं चढ़ती – छल कपट हमेशा सफल नहीं होता
काबुल में भी गधे होते हैं – मुर्ख हर जगह होते हैं
काम जो आवे कामरी, का ले करे कमाच – जिस चीज से काम बने वही अधिक महत्वपूर्ण है
कुत्ता भी पूँछ हिलाकर बैठता हैं – स्वच्छता सबको प्रिय है
कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती – दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ सकता है
कुत्ते को घी नहीं पचता – ओछा आदमी अच्छी बात भी नहीं पचा सकता
खग जाने खग की ही भाषा – जिनका जिस चीज से संबंध रहता है, वे ही उसके बारे बता सकते हैं
खरी मजूरी चोखा काम – पूरा देना और पूरा काम लेना
खेत खाय गदहा, मार खाय जोलहा – दोष कोई करे और दंड कोई दूसरा भोगे
गये थे रोजा छुड़ाने, गले पड़ी नमाज – एक विपति से बचने की चेष्टा में उससे भारी रिपति शों कसना
गाँव का जोगी जोगड़ा आन गाँव का सिद्ध – गुण की पहचान अपनों की अपेक्षा बाहरी लोग अधिक करते हैं
गुरु कीजै जान, पानी पीजे छान – कोई भी चीज अच्छी तरह जाँचकर लेनी चाहिए
बाजु में छोरा नगर में ढिंढोरा – जो पास में ही मौजूद हो उसे दूर खोजना
गीदड़ की जब शामत आती है तो वह शहर की ओर भागता है – मुसीबत मनुष्य को अपनी और खींचती है
घर में दीया जलाकर मस्जिद में जलाया जाता है – दूसरों को सुधारने से पहले स्वयं
घी का लड्डू टेढ़ा भी भला – गुणवान की शक्ल नहीं देखी जाती
घी खिचड़ी में ही गिरे – अपनी चीज अपने काम आयी
घर में भुनी भाँग नहीं, नगर निमंत्रण – मूर्खतापूर्ण दुस्साहस
चमड़ी जाय पर दमड़ी नहीं – भारी कजूस
चल गयी तो वाह वाह, रह गयी तो फकीरी – धन हाथ में आने पर अंधाधुंध खर्च करना और समाप्त हो जाने पर भूखों मरना
चोर चोर मौसेरा भाई – एक व्यवसायवाले आपस में मित्र होते हैं
चौबे गये छब्बे बनने दुबे बनकर लौटे – लाभ के लोभ में हानि
छुछुदर के सिर पर चमेली का तेल – अयोग्य के पास मूल्यवान वस्तु होना
छोटे मियाँ तो छोटे मियाँ बड़े मियाँ सुभान अल्ला – बड़ों में छोटों की अपेक्षा अधिक बुराई
जगल में मंगल – हर स्थिति में प्रसन्न रहना
जब नाचना है तो घूंघट कैसा – काम में लाज कैसा
जब तक साँस तब तक आस – अंतिम समय तक निराश नहीं होना
जल में रहकर मगर से बैर – जिसके अधीन रहना उससे वैर करना ठीक नहीं
जहाँ न जाय रवि, वहाँ जाय कवि – कवि की कल्पना बड़ी तीव्रगामी होती है
जस दूलह तस बनी बरात – अपने जैसे सभी साथी
जहाँ मुर्गा नहीं बोलता, वहाँ क्या सवेरा नहीं होता – किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता
जा को राखे साइयाँ, मारि न सकिहें कोय – ईश्वर जिसका सहायक है, उसका कोई कुछ बिगाड नहीं सकता
जिन ढूँढा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ – परिश्रमी को सफलता मिलती है
जिसकी जूती उसी का सिर – अपनी ही वस्तु से हानि
जिस पत्तल में खाना उसी में छेद करना – कृतघनता
जैसा देश वैसा वेश – स्थान के अनुसार ही अपने आपको रखना चाहिए
जैसी बहे बयार तब तैसी पीठ आड़ – परिस्थिति के अनुसार नीति अपनानी चाहिए
झूठ के पाँव कहाँ – झूठा आधार हमेशा कमजोर होता है
टके की चटाई, नौ टका विदाई – लाभ से हानि अधिक होना
टेढ़ी अँगुली से घी निकलता है – सीधेपन से काम नहीं चलता
ठठेरे ठठेरे बदलौअल – धूर्त से धूर्तता
ढाक के सदा तीन पात – एक ही स्थिति में हमेशा रहना
तन पर नहीं लता, पान खाय अलबत्ता – झूठी शेखी बघारना
तुम डाल डाल मैं पात पात – किसी के दाव को अच्छी तरह समझना
तेते पाँव पसारिये जेती लम्बी ठौर – हैसियत के बाहर काम नहीं करना चाहिए
थोथा चना बाजे घना – ओछे लोग अधिक आडम्बर करते हैं
दाल भात में मूसलचद – अनधिकार दखल देना
दीवार के भी कान होते हैं – भेद खुलने के अनेक रास्ते हैं
दुधारु गाय की लात भी भली – जिससे फायदा हो उसकी झिड़की भी अच्छी लगती है
दूध का दूध पानी का पानी – निष्पक्ष न्याय
दोनों हाथ में लड्डू – दो तरफा लाभ
न ऊधो का लेना न माधो का देना – कोई लटपट नहीं
नक्कारखाने में तूती की आवाज – कमजोर के प्रति उदासीनता
नदी नाव का संयोग – दुर्लभ मिलाप
न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी – किसी काम को करने के लिए कठिन शर्त रखना
न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी – झगडे की जूड को समाप्त करना
नाच न जाने आँगन टेढ़ा – अपने अज्ञान का द्वेष दूसरे पर मढ़ना
नाम बड़े पर दर्शन छोटे – गुण की अपेक्षा प्रशंसा अधिक
नीम हकीम खतरे जान – अयोग्य व्यक्ति से हानि होती है
नौ नगद न तेरह उधार – अधिक उधार से थोड़ा नगद अच्छा होता है
पर उपदेश कुशल बहुतेरे – दूसरों को उपदेश देनेवाले बहुत हैं, स्वंय काम करनेवाले वाले बहुत कम
पांचो अंगुलियाँ बराबर नहीं होती – सभी आदमी एक जैसे नहीं होते
प्यासा ही कुआँ के पास जाता है – जिसे जरूरत होती है उसे ही चेष्टा करनी होती है
फुकने से पहाड़ नहीं उड़ते – बड़े काम छोटे उद्योग से नहीं होते
फल से लदी डाली नीचे झुक जाती है – गुणवान व्यक्ति विनम्र होता है
बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख – अपना स्वाभिमान छोड़कर माँगने से अनादर होता है
बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा – अच्छा मौका मिलना
बीति ताहि बिसारि दे, आगे की सुध लेय – बीती हुई घटना पर पछताने के बदले भविष्य की चिंता करनी चाहिए
बैल का बैल गया, नौ हाथ का पगही भी गया – बहुत बड़ा घाटा, घाटा पर घाटा
भैंस के आगे बीन बजाये, भैंस बैठ पगुराय – पूर्ख पर उपदेश का कोई असर नहीं होता
मन चंगा तो कठौती में गंगा – मन की पवित्रता ही सबसे बड़ा पुण्य है
मरता क्या नहीं करता – निराश व्यक्ति सब कुछ कर सकता है
मलयगिरी की भीलनी चंदन देत जराय – सहज उपलब्ध वस्तु की कद्र नहीं होती
मान न मान मैं तेरा मेहमान – जबर्दस्ती किसी पर दायित्व मढ़ना
मार के डर से भूत भागे – दुष्ट व्यक्ति दुष्टता से ही सीधे होते हैं
मानो तो देव नहीं तो पत्थर – विश्वास ही सबकुछ है
मियाँ की दाढ़ी वाहवाही में गयी – झूठी प्रशंसा में ही बर्बाद होना
मियाँ की जूती मियाँ के सिर – जिसकी करनी उसी की भरनी
मुख में राम बगल में छूरी – कपटी या धोखेबाज आदमी
यह मुँह और मसूर की दाल – ऐसी वस्तु की चाह करना जिसे पाने की योग्यता नहीं हो
राम नाम जपना पराया माल अपना – कपट से दूसरे का धन हड़पना
लगा तो तीर नहीं तो तुक्का – निपट अंदाज से काम लेना
सब्र की डाल में मेवा फलता है – संतोष से लाभ होता है
समय पाय तरुवर फले, कतवो सीचे नीर – प्रत्येक काम एक निश्चित समय पर ही पूरा होता है
साँच को आँच कहाँ – सच को किसी का डर नहीं होता
सावन के अंधे को हरा ही हरा सूझता है – अमीर सबको अमीर समझता है
सुनिये सब की करिये मन की – सबका सुझाव लेना चाहिए, लेकिन वही करना चाहिए जिसे अपना मन स्वीकार करे
सीधे का मुँह कुत्ता चाटता है – अधिक सीधा होने पर लोग कष्ट देते हैं
सौ चोट सुनार की एक चोट लुहार की – कमजोर के अनेक अपराधों की सजा बलवान एक ही बार में दे देता है
सौ सयाने एक मत – बुद्धिमान लोग एकमत होकर काम करते हैं
हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और – कहने को कुछ करने को कुछ और
हीरे की परख जौहरी जाने – गुण की परीक्षा गुणी ही कर सकता है
हाथ सुमिरनी, बगल कतरनी – ऊपर से सज्जन, भीतर से कपटी
हलवाई की दुकान, दादा का फातेहा – दुसरे के धन पर मौज करना
हिंदी व्याकरण | संज्ञा | सर्वनाम |

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1 अपने पाँव में आप कुल्हाड़ी मारना जानबूझकर मुसीबत में पड़ना तुमने तो अपने पाँव आप ही कुल्हाडी मारी है, अ मुझे क्यों दोष देते ह
2 अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना अलग रहना कुछ वर्ष पह पाकिस्त अढ़ाई चावल की खिचडी अलग पका रहा था
3 अपना सा मुँह लेकर रह जाना किसी काम में असफल होने पर लज्जित होना जब वह निर्दोष श्याम को मुकदमे में नह फसा सका तो अपना सा मुँह लेक रह गया
4 अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना अपनी बड़ाई आप करना अपने मुँह मियाँ मिट्लू बननेवाले को समाज इज्जत नहीं मिलती
5 अरमान निकालना हौसला पूरा करना बेटें की शादी में बाबू साहब ने अपने दि के अरमान निकाले
6 अरमान रहना (या रह जाना) इच्छा पूरी न होना इकलौते बेटे के अचानक मर जाने से उस गरीब के सारे अरमान रह गये
7 आँख उठाकर न देखना ध्यान न देना, तिरस्कार करना मैं उनके पास काम के लिए गया था, परंतु उन्होंने भुझे आँख उठाकर भी न देखा
8 आँख का काँटा होना खटकना, शत्रु होना अपनी काली करतूतों के कारण वह पड़ोसियों की आँख का काँटा हो गया है
9 आँख का काजल चुराना सफाई के साथ चोरी करना इतने लोगों के बीच से घड़ी गायब ! चोर ने तो जैसे ऑखों का काजल ही चुरा लिया है
10 आँख का तारा, आँख की पुतली बहुत प्यारा यह बच्चा मेरी आँखों का तारा है
11 आँख दिखाना क्रोध से देखना, रोकना, धमकाना गलती भी करते हो और ऊपर से ऑखें भी दिखाते हो
12 आँखों में धूल झोंकना सरे आम धोखा देना परीक्षक की आँखों में धूल झोंककर कुछ विद्यार्थी अच्छे अंक तो पा जाते हैं, परंतु इससे उन्हें जीवन में सफलता नहीं मिलती
13 आँखों पर चढ़ना पसंद आ जाना, किसी चीज के लिए लोभ होना तुम्हारी घड़ी चोर की आँखों पर चढ़ गयी थी, इसलिए मौका पाते ही उसने चुरा ली
14 आखें फेर लेना पहले जैसा व्यवहार न रखना जब से उसे अफसरी मिली है, उसने माँ बाप, यार दोस्त सबसे आँखें फेर ली है
15 ऑखें बिछाना प्रेम से स्वागत करना, बाट जोहना तुम्हारी राह में आँखें बिछाये कय से बैठा हूँ तुम जल्द आ जाओ
16 आँख में पानी न होना बेहया, बेशर्म होना बेईमान लोगों की आँखों में पानी नहीं होता
17 आँखों में खून उतरना अत्यधिक क्रोध होना जयचंद को देखते ही महाराज पृथ्वीराज की आँखों में खून उतर आया
18 आँखों में गड़ना (या चुभना) बुरा लगना, पसंद आना तुम्हारी कलम मेरी आँखों में गड़ गयी है, इसे तुम मुझे दे दी
19 आँखों में चरबी छाना घमंड होना दौलत हाथ में आते ही उसकी आँखों में चरबी छा गयी और वह अपने रिश्तेदारों से बुरा व्यवहार करने लगा
20 आँखे लाल करना क्रोध से देखना आँखें लाल मत करो, इससे मैं डरनेवाला नहीं
21 आँखे सेंकना दर्शन का सुख उठाना बहुत से नवयुवक तो मेले ठेले में सिर्फ आँखे सेंकने ही आते
22 आँच न आने देना थोड़ा भी आघात न होने देना इस झमेले में मेरे दोस्त रवि ने मुझ पर जरा सी भी आँच न आने दी
23 आटे दाल का भाव मालूम होना कठिनाइयों का ज्ञान होना तुम्हारे ऊपर ज जिम्मेवारिय आयेंगी तभी तुम्हें ऑटे दाल का भाव मालूम होगा
24 आँसू पीकर रह जाना दु:ख अपमान को बर्दास्त कर लेना सबके सामने जली कटी सुनकर भी वह आँसू पीकर रह गया
25 आकाश के तारे तोड़ लाना असंभव काम करना तुम्हें नौकरी क्या मिली, लगता है आकाश के ता तोड़ लाये हो
26 आकाश पाताल एक करना खूब परिश्रम करना तुम्हें नौकरी दिलाने के लिए विकास ने आकाश पाताल एक क दिया था
27 आग पर पानी डालना शांत करना दोनों मित्रों के बीच काफ गरमा गरमी हो गयी थी, पर दीदी की बातों ने आग पर पानी डा दिया
28 आग में घी डालना झगड़ा बढ़ाना रमेश, तुम गोवर्धन की बातों में मत आना, उसका तो काम ही आग में घी डालना
29 आग में कूदना जानबूझकर मुसीबत में पड़ना साहसी व्यक्ति खतर से डरते नहीं, वे आग में भी कूद पड़ते हैं
30 आग बबूला होना बहुत क्रुध होना राम की अनाप शनाप बातें सुनकर मोहन आग बबूला हो गय
31 आग लगने पर कुआँ खोदना विपत्ति आ जाने पर प्रतिकार का उपाय खोजना बीमारी की इस अंतिम अवस्था में दूर शहर से डॉक्टर बुलाने की बात सोचना आग लगने पर कुआँ खोदने जैसा है
32 आटा गीला करना घाटा लगाना औने पौने दामों में इन्हें बेचकर क्यों अपना आटा गीला कर रहे हो ?
33 आधा तीतर आधा बटेर बेमेल, बेढंगा पश्चिमी सभ्यता ने भारतीय सभ्यता संस्कृति को आधा तीतर आधा बटेर बना दिया है
34 आपे से बाहर होना क्रोधित होना इतनी सी बात प ही मास्टर साहब आपे से बाहर
35 आबरू पर पानी फिरना प्रतिष्ठा नष्ट होना तुम्हारी बेवकूफी के कारण ही मेरी आबरू पर पानी फिर गया
36 आवाज उठाना विरोध करना सरकार के खिलाफ आवाज उठाना एक साधारण बात हो गयी है
37 आसमान सिर पर उठाना उपद्रव करना इतनी छोटी सी बात पर उसने आसमान सिर पर उठा लिया था
38 आसमान से बातें करना बहुत ऊँचा होना देवघर के मंदिर का शिखर आसमान से बातें कर रहा है
39 आस्तीन का साँप मित्र के रूप में शत्रु उस पर कभी भरोसा मत करना, वह तो आस्तीन का साँप है
40 इधर उधर करना टालमटोल करना अब ज्यादा इधर उधर करना बंद करो, चुपचाप मेरी पुस्तक मुझे लौटा दो
41 इधर की दुनिया उधर होना अनहोनी बात होना चाहे इधर की दुनिया उधर हो जाय, मैं तुम्हारे यहाँ नहीं जानेवाला हूँ
42 इधर की उधर करना चुगली करना उसके सामने यह सब क्यों कहते हो ? उसकी तो आदत ही है इधर की उधर करने की
43 ईट से ईट बजान अंतिम दम तक लड़ना, बर्बाद करना मैं उसकी ईंट से ईट बजा ट्रॅगा, पर हार नहीं मानूगा
44 ईंट का जवाब पत्थर से देना दुष्टों के साथ दुष्टता का व्यवहार करना वे लोग हमारे आदमियों को पीटकर तीसमार खाँ बने घूमते हैं, पर यह नहीं जानते कि हमें भी ईंट का जवाब पत्थर से देना आता है
45 ईद (दूज) का चाँद होना मुश्किल से दिखाई देना बहुत दिनों से मिले नहीं मोहन, तुम तो आजकल ईद का चाँद हो गये हो
46 उड़ती खबर अफवाह यह उड़ती खबर है, इस पर विश्वास पत करना
47 उल्लू का पट्ठा निरा बेवकूफ उस जैसा उल्लू का पट्ठा भी कहीं अक्ल से काम लती हैं |
48 उल्लू बनाना बेवकूफ बनाना उसे तुम उल्लू नहीं बना सकते, वह बड़ा चतुर है
49 उल्लू सीधा करना काम निकालना नेताजी की खुशामद करके आखिर उसने अपना उल्लू सीधा कर ही लिया
50 उधेड़बुन में पड़ना सोच विचार में पड़ना अचानक किसी समस्या के आ जाने पर कोई भी व्यक्ति उधेड़ बन में पड़ जाता है
51 उल्टी गंगा बहाना असंभव काम करना इस गदहे पढ़ान गंगा ब समान
52 उल्टे अस्तुरे से मूड़ना मूर्ख बनाकर ठगना उस ठग मुझे उल् से मूड़ ल
53 उँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना थोड़ा सा लेकर पूरा लेने की इच्छा करना ‘मोहन सावध रहना ह अच्छा उँगली पहुँचा पकड़नेव आदमी
54 उँगली पर नचाना वश में करना आपके इसका यह नह आप हर मुझे ऊँग नचाते
55 न उधी का लेना न माधो का देना किसी से कोई संबंध नहीं रखना चाहे ज कहो, खरा वह न ऊ लेता है माधी देता है
56 एँड़ी चोटी का पसीना एक करना बहुत मेहनत करना इस का समय प करने के उसे एँड़ चोटी पसीन करना
57 एक आँख न भाना जरा भी अच्छा न लगना अपनी साथ तु ऐसा दुव्र्यवह एक आँ नहीं भ
58 एक एक ग्यारह होना एकता के सूत्र में बँधकर शक्तिशाली होना शत्रुओं दोनों भाइय खूब सत लेकिन दोनों मिलक एक ग्य गये हैं अ अपने श का डट मुकाब
59 एक टाँग (पैर) पर खड़ा रहना काम करने के लिए सदा तैयार रहना जब तक की श सम्पन्न हुई, भूष टाँग प रहा
60 एक लाठी से हाँकना सबके साथ एकसमान व्यवहार करना सबको लाठी हाँकन बुद्धिम नहीं है
61 एक हाथ से ताली न बजना बिना सहयोग के काम का नहीं होना एक हा ताली बजती, दोनों
62 ऐसी तैसी करना बेइज्जत करना सब के ही देवें अपने ब की ऐस कर दी
63 ओखल में सिर देना जान बूझकर मुसीबत में पड़ना जब ओ सिर दे है, तब मू की क् परवाह
64 औधी खोपड़ी का होना मूर्ख होना उसे सम ही बेक वह बि औधी खोपड़ आदमी
65 औधे मुँह गिरना बुरी तरह धोखा खाना इस बा खरीद बेचारे न चली वह औधे गिरा
66 कटक बनना बाधक होना तुम तो काम में बन जा
67 ककड़ी खीरा समझना महत्वहीन समझना वे गरी क्या हु आदमी उन्हें तुम ककड़ी मत सम करो
68 कटे (जले ) पर नमक छिड़कना दु:ख बढ़ाना बेचार तो ऐसे दुखों से
69 कफन सिर से बाँधना मौत या खतरे की परवाह नहीं करला बहुतेरे न कफन स बाँधकर आजाद लड़ाई पड़े थे
70 कमर कसना तैयार होना यदि यु विजय हो तो मारने कमर क
71 कमर टूटना उत्साहहीन होना, असहाय होना सीमा में अपने साज को बर् होते दे पाकि फौज ही टूट
72 कलेजा का टुकड़ा बहुत प्यारा सौमि अपनी कलेजे टुकड़ा
73 कलेजा चीरकर दिखाना पूरा विश्वास देना, कोई कपट न रखना तुम्हारे दिल में कितन है, यह मैं कलेजा चीरकर सकता
74 कलेजा टूक टूक होना बहुत दु:ख होना कैकेयी बात सु महारा दशरथ कलेजा हो गय
75 कलेजा ठंढा होना संतोष होना राम के जाते ह दासी का क ठंढा ह
76 कलेजा थामकर रहना मन मसोसकर रहना परशुरा जली बातें सु लक्ष्म बहुत क्र हुआ, क श्री र समझा बुझाने कलेजा थामक
77 कलेजा निकालकर रख देना सच्ची बात कह देना मैंने कले निका रख दि फिर भ विश्व होता
78 कलेजा मुँह को आना घबराना उसकी विपत्त कहान कलेजा आ जा
79 कलेजे पर साँप लोटना ईष्या या जलन होना मेरी तर देखकर कलेजे प लौट ग इसलि मेरे बारे प्रचार शुरू कर है
80 काठ की हाँड़ी अस्थायी चीज इस बा तुम्हार सफल ह लेकिन की हाँ बार ब पर नहीं
81 कान ऐंठना सुधरने की प्रतिज्ञा करना मैं कान हूँ कि गलत क कभी न करूंगा
82 कान काटना मात करना बुद्धि वह वृहस् भी क काटत
83 कान पर जूं न रेंगना कुछ भी ध्यान न देना मैं इतन चिल्ल हूँ, लेक तुम्हारे पर जू त रेंगती
84 कान भरना शिकायत करना आज क से वह मु बात त करता, है कि ने मेरे व उसके क दिये हैं
85 कान में तेल डालकर बैठना ध्यान न देना इतनी बुला र लेकिन कान में डालक
86 काम आना वीरगति को प्राप्त होना नेप्फा लड़ाई के बहुतेरे सिपा काम
87 काम तमाम करना मार डालना शिवा अपने ब अफजल का क तमाम दिया
88 कीचड़ उछालना निंदा करना, बदनाम करना भले आ पर व्यर् कीचड़ उछाल तो उस पुरानी है
89 कील काँटे से दुरुस्त होना अच्छी तरह से तैयार होना आज मैं काम पू किये ब रहूँगा, क्योंक मैं कील से दुरुस् आया
90 कुएँ में भाँग पड़ना सब की बुद्धि मारी जाना किस को सम जाय य कुएँ में ह पड़ी है
91 कुत्ते की मौत मरना बुरी तरह मरना अगर तु ऐसी ह बनी र तुम कुत् मौत म
92 कुम्हड़े की बतिया कमजोर आदमी रमेश ने को ब कुम्हड़े बतिय समझ ल बात ब उसे धम रहता है
93 कुहराम मचाना खूब रोना पीटना बंगाल की म खबर आ उनके घ कुहराम गया
94 कौड़ी का तीन होना बहुत सस्ता होना, बेकदर होना तुम जैसे आवार साथ र भी क का त गया
95 खबर लेना दंड देना, देखभाल करना रामप्र तुम्हार काफी शिका को म हैं, आज को मैं तुम्हार लुंगा
96 खाक उड़ाते फिरना भटकना अपनी जमा पूँ बर्बाद अब वह उड़ाते रहा है
97 खाक में मिलना बर्बाद हो जाना खुदा क बुराई तो ख मिल ज
98 खिलखिला पड़ना खुश होना, खुलकर हँस पड़ना खिलौ देखते ह गुड़िय खिलख पडी
99 खुशामदी टट्टू होना चापलूस होना तुम्हार तुम तो खुशाम हो, क किसी अपना करवा लोगे
100 खून की नदी बहाना बहुत मार काट करना क्रूर नादिर दिल्ल की नद दी थी
101 खून खौलना बहुत क्रोध होना दु:शासन द्वारा द्रौपदी अपमान होते देख भीम क खून खौ लगा
102 खेत आना लड़ाई में मारा जाना 1971 के में पाकिस् के हजार सैनिक खे आये
103 ख्याली पुलाव पकाना बेसिर पैर की बातें करना, असंभवं बातें सोचना कुछ काम भी करो या सिर् ख्याली पुलाव ह पकाते रहोगे ?
104 गड़े मुर्दे उखाड़ना पुरानी बातें सामने लाना मेरा का गड़े मुर्दे उखाड़न नहीं है, लेकिन पू बात समझाने लिएँ इस घटना क इतिहास मुझे बता ही होग
105 गड्ढे खोदना दूसरे के नुकसान के लिए जाल बिछाना जो दूसर लिए गड् खोदता वह उसमें गिरता
106 गहरी छनना गाढ़ी मित्रता होना इन दिन राम और श्याम में गहरी छन रही है
107 गाँठ बाँधना अच्छी तरह याद रखना पिताज की सी गाँठ बाँ लो, नहीं बाद में ब पछताओ गाँठ का पूरा हो
108 गिरगिट की तरह रंग बदलना बहुत जल्दी जल्दी विचार बदलना उसकी ब का क्य भरोसा तो गिर की तरह बदलता रहता है
109 गुड़ गोबर करना बना बनाया काम बिगाड़ देना बड़ी मुश्किल मैंने उसे इ काम के तैयार किया थ लेकिन तुम्हीं ने आकर स गुड गोबर दिया
110 गुल खिलाना अनोखे काम करना ऐन मौके उसने ऐस गुल खिलाय कि लोग के होश गु हो गये
111 गाजर मूली समझना छोटा या कमजोर समझना हम अपने दुश्मनों गाजर मू समझते हैं
112 गोटी लाल होना लाभ होना तुम्हारी क्या, अ तो तुम्ह गोटी ल हो रही
113 गोली मारना उपेक्षा से त्याग देना बेकार क बातों क गोली म अपने का मन लगा
114 गोलमाल करना गड़बड़ करना बड़ा बा आफिस बहुत दिन से कुछ गोलमा कर रहे थे, आज पक आये हैं
115 घड़ों पानी पड़ जाना अत्यधिक शर्मिदा होना उसने का ही ऐसा किया है कि जब मैं उसकी चर्चा क हूँ, मूझ पर घड़ों पा पड़ जात
116 घर का न घाट का एकदम बेकार, अनुपयोगी इधर नौ छूटी उध पिताज का साय सिर से उ गया, बेचारा अभय अब तो घर क रहा न घ का
117 घाट घाट का पानी पीना बहुत अनुभवी होना रघु को ठगना आसान न वह घाट का पान पी चुका
118 घुटना टेक देना हार मान लेना भारत के स्वतंत्रत आंदोलन परेशान होकर ब्रिटिश सरकार ने भारतीय के आगे घु टेक दिये
119 घुला घुला कर मारना परेशान करके मारना कठोरहृद सास ने बेचारी बहू को घु घुला कर मार डा
120 घोड़ा बेचकर सोना निश्चित होकर सोना वह तो बिल्कुल बेखबर थ जैसे घोड़ बेचकर सोया ह
121 चंगुल में आना (पड़ना) काबू में आना उसे पहले चंगुल में प दो, फिर देखना कै मजा चखाता
122 चडाल चौकड़ी दुष्टों का दल, मनचलों का जमघट वह तो अपनी चंडाल चौकड़ी ही मस्त मेरी क्य खाक सुनेगा ?
123 चक्कर में डालना परेशान करना उसने मुझ रुपये लेकर चक्कर में डाल दि
124 चक्कर में आना धोखा खाना न जाने वह उस धू के चक्कर आ गया
125 चकमा देना ठगना नंदलाल सावधा रहना, वह तुम्हें भी चकमा दे सकता है
126 चल निकलना प्रसिद्ध होना, जम जाना इन दिन चुस्त पोशाक फैशन खूब निकला
127 चाँदी काटना खूब कमाना, मौज करना गल्ले के व्यापार खूब चाँद काट रहे
128 चाँदी का जूता मारना घूस देना इस युग में जिसे भ चाँदी क जूता मारोगे, तुम्हारा काम कर देगा
129 छाती पर मूंग दलना किसी के सामने ही ऐसी बात कहना, जिससे उसका जी दुखें जितना चाहे मुझे सता लो लेकिन मैं जबतक जिंदा रहूँगी, तुम्हारी छाती प मूंग दलत रहूँगी
130 छाती पर साँप लोटना ईष्या या जलन होना दूसरे की तरक्की देख्कर उसकी छाती प साँप लौ लगता है
131 छान बीन करना पूछताछ या जाँच करना बहुत छा बीन कर भी पुलि चोरी क सुराग नह पा सकी
132 छीछालेदर करना हँसी उड़ाना, दुर्गति करना आज की सभा में रामदेव ब ने नेताओं की खूब छीछाले की
133 छू मंतर होना भाग जाना पुलिस क देखते ही सारे जु छू मंतर ह गये
134 जंजाल में फसना झंझट में पड़ना बेचारा गृहस्थी जंजाल में फस गया अब भजन कीर्तन लिए उसे समय कह मिलता
135 जख्म (जले ) पर नमक छिड़कना दु:ख पर दु:ख देना इन गरीब पर और अत्याच करके उन जख्म (ज पर नमक छिडकी
136 जड़ उखाड़ना समूल नाश करना गाँधीज सत्याग्र ब्रिटिश साम्रा की भार जड़ उखा दी
137 जबानी जमा खर्च करना केवल बात करना, कुछ काम न करना केवल जबानी जमा खर् मत करो, काम भी किया
138 जमीन आसमान एक करना बहुत बड़े बड़े उपाय करना चुनावों सफलता पाने के उन्होंने जमीन आसमान कर दिय था
139 जमीन पर नाक रगड़ना पछताना, माफी माँगना आज चा जितना अकड़ लो कल तो जमीन प नाक रग ही
140 जमीन पर पैर न रखना बहुत घमंड करना आजादज जब से मंत् बने हैं, जम पर पैर नह रखते
141 जलती आग में घी डालना लड़ाई बढ़ाना चैन सिंह तो मुझसे पुरानी दुश्मनी ही, लेक तुमने उसे बात की याद दिलाक जलती घी डाल दिया है
142 जली कटी सुनाना डॉट फटकार करना गुस्सा त मुझे बहुत दिनों से लेकिन क ही वे पक आये और उन्हें खूब जली कट सुना दी
143 जहर का घूंट पीना क्रोध को दबा लेना उसके दुव्यवहा मुझे गुस्स तो बहुत आया, लेकिन परिस्थि कुछ ऐसी कि जहर घूंट पीक जाना प
144 जी की जी में रहना इच्छा अधूरी रहना मैंने अपने को खूब पढ़ाना लिखान चाहा थ लेकिन पै अभाव में मेरी जी जी में रह गयी
145 जी नहीं भरना संतोष नहीं होना धन चाहे जितना मिले, पर इससे कि का जी नहीं भर
146 जी भर आना दया होना गरीबों देखकर जिसका जी भर वही सच् महात्मा
147 जीती मक्खी निगलना सरासर बेईमानी करना वह ऐसा घाघ है क आँखों के सामने ह जीती मक्खी निगल जाता है किसी पता तक नहीं चल
148 जीवन दान बनना जीवन की रक्षा करना डॉक्टर दवा रो के लिए जीवन द बन गयी
149 जूतियाँ सीधी करना बहुत खुशामद करना यदि तुम्हें उनसे अप काम निकाल है, तो उन जूतियाँ सीधी किया
150 जोर लगाना बल प्रयोग करना रावण ने जोर लगाया, लेकिन श धनुष टस मस न हु
151 झक मारना विवश होना, व्यर्थ समय बिताना उसके पा मुझे सहायत लिए झक मारकर जाना प
152 झाँसा देना धोखा देना लखिया झाँसा दे मेरे बेटे क घड़ी हथिया
153 झाड़ फेरना मान नष्ट करना एक नीच आदमी से रिश्ता जोड़कर पूरे परिव की मर्य पर झाड़ दिया है
154 झाड़ मारना तिरस्कार करना, दूर हटाना – जरा सी बात पर माँ ने उसे झाड़ मारकर बाहर निकाल दिया झूठ का पुल बाँधना बहुत झूठ बोलना सच्ची सच्ची ब ही कह द अब झूठ पुल बाँध क्या फायदा
155 टक्कर लेना मुकाबला करना तबला व में कंठे महाराज टक्कर ले आसान न था
156 टका सा जवाब देना इनकार कर देना मैं नौकर लिए बड़ आशा ले गया था, लेकिन सेठजी ने टका सा जवाब दे दिया
157 टका सा मुँह लेकर रह जाना शर्मिदा होना पिताज पहुँचते ह जुआरी गजाधर सा मुँह ले रह गया
158 टट्टी की ओट में शिकार खेलना छिपकर गलत काम करना आजकल नेता टट्ट की ओट शिकार खेलना जानते हैं
159 टस से मस ना होना थोड़ा सा भी न हिलना उसे बहुत प्रलोभन दिया ग लेकिन व अपनी ब से टस से न हुआ
160 टाएँ टाएँ फिस होना असफल हो जाना उसने योजना खूब सोच समझकर बनायी लेकिन व टाएँ टा फिस हो गयी
161 टाल मटोल करना बहाने करना अगर मेरे रु वापस क है, तो कर दो, टाल मटोल क मुझे व्यर्थ परेशान करो
162 टूट पड़ना वेग से धावा बोलना शिवाज सैनिक अचानक बगल की पहाड़ी निकलक मुगल फौ पर टूट पड़े
163 टाँग अड़ाना दखल देना, अडचन डालना हर बात टाँग अडाना मूखों क ही काम
164 टेढ़ी उँगली से घी निकालना आसानी से काम न होना उससे को काम कर लेना टेढ़ ऊँगली से निकाल जैसा ही
165 टेढ़ी खीर होना मुश्किल काम इसे सही रास्ते पर लाना टे खीर है
166 ठंढा करना शांत करना पिताज तो गुस्से उबल रहे बड़ी मुश्किल मैंने उन्हें समझा बुझाकर ठंढा कि है
167 ठंढा होना शांत होना, मर जाना शाइस्त खाँ शिवाज की चोट खाकर थोडा छटपटाय फिर एक ठंढा हो गया
168 ठकुर सुहाती करना मुँहदेखी करना, चापलूसी करना अफसरों ठकुर सुह करके सेठ ने काफ कमा लि
169 ठनठन गोपाल होना निर्धन होना वह तो इ दिनों खु ही ठनठ गोपाल उससे चंद पाने की आशा म करो
170 ठोकर खाना नुकसान सहना, मारा मारा फिरना क्या ऐसे ठोकर ख फिरोगे कुछ कमा का भी उपाय करोगे ?
171 डंक मारना कटु वचन कहना उसने अप कड़वी बातों क ऐसा डक मारा क मर्माहत होकर रह गया
172 डंके की चोट पर कहना खुल्लम खुल्ला कहना बात सच् थी तभी डके की पर कही गयी
173 डूबते को तिनके का सहारा होना असहाय का कुछ भी सहारा होना ऐसी वि परिस्थि में तुम्हार यह छोट रकम भी डूबते को तिनके क सहारा होगी
174 डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाना अपनी तुच्छ राय अलग रखना यदि हम इसी प्र डेढ़ चाव की खि अलग पक रहे, तो ह एकता क भी नहीं आयेगी
175 ढाई दिन की बादशाहत क्षणिक सुख यह ढाई की बादशाह भी कि काम ‘ क जबकि तकदीर सारी जिंदगी भोगना लिखा है
176 ढाक के तीन पात सदा एक सा रहना यह आदम तरक्की करनेवाल नहीं है, भी मैंने दे इसे वही ढाक के पात पा
177 ढिंढोरा पीटना सबको सुनाना उसने हम बातें सुन हैं, अब पूरे गाँव में ढिंढोरा पीटता फिरेगा
178 ढेर करना मार डालना बलराम ने गदा की ही चोट दुष्ट राक् को वहीं कर दिय
179 तकदीर चमकना भले दिन आना बेटे की नौकरी क्या मि राम बा की तकद चमक गय
180 तख्ता उलटना बना बनाया काम बिगाड़ना इस व्यवस में मैंने अच् कमाया लेकिन गे का सौद करके तुम मेरा तख् उलट दि
181 तबीयत फड़क उठना चित्त प्रसन्न हो जाना पंकज उद की गजल सुनकर मेर तबीयत फड़क उठ
182 तलवार के घाट उतारना हत्या कर देना उस वीर अत्याच को अपन तलवार घाट उत दिया
183 तलवे धो धोकर पीनां बहुत अधिक खुशामद करना वह सेठज तलवे धो धोकर पीता र लेकिन ब में उसे गालिय ही मिल
184 ताक में रहना मौका देखते रहना तुम साव रहना, इन दिनों व तुम्हारी ताक में रहता है
185 ताना मारना व्यंग्य करना मेरी गरी पर वह न हमेशा ताना मारा क है
186 तारे गिनना चिंता में रात काटना आपके इंतजार सारी र तारे गि रहा
187 तारे तोड़ लाना असंभव काम करना साहसी व्यक्ति ही तारे तोड ला
188 तिनके का सहारा थोड़ा सा सहारा मुझ जैसे गरीब क तो तिन का सहा भी बहुत होता है
189 तिल का ताड़ कर देना बहुत बढ़ा चढ़ाकर कहना जितनी बात हुई उतनी ह कहो, ति का ताड करो
190 त्राहि त्राहि करना रक्षा के लिए गुहार करना जमींदार के अत्याच किसान त्राहि त्राहि रहे थे
191 थुड़ी थुड़ी करना धिक्कारना उसके ऐसे नीच कर् सभी थुड़ थुड़ी कर थे
192 थू थू करना धिक्कारना तुम्हारी नीचता कहानी भी सुनेग वही तुम थू थू करेग
193 थूककर चाटना वादा से मुकर जाना तुम्हारे आदमी क्या विश्वा तुम तो थूककर च लगते हो
194 थूक से सत्तू सानना बहुत कंजूसी करना रामजीव चंदा पा की उम्म मत रखो, हमेशा थू सत्तू सानता
195 थोथी बात होना सारहीन बात होना ये सब थो बातें हैं, इ पर कोई विश्वा नहीं करे
196 दबी जबान से कहना धीरे धीरे कहना नौकर ने अपनी ब मालिक दबी जब से कह दी
197 दम भरना भरोसा करना, हर समय किसी की तारीफ करना वह तो हमेशा तुम्हारी दोस्ती दम भरा करता थ
198 दर दर मारा फिरना दुर्दशाग्रस्त होकर घूमना याद रख यदि यह नौकरी छोड़ दी तो तुम्हें जिंदगी दर दर मा फिरना होगा
199 दलदल में फसना मुश्किल में पड़ना मैं उस बदमाश जमानत दलदल में गया
200 दाँतों उँगली दबाना (दाँत तले उँगली दबाना) आश्चर्य करना, अफसोस करना इस बच्चे बातें सुन तो दाँत उँगली दबाना पड़ता है
201 दाँतकटी रोटी होना गहरी दोस्ती होना नरेश में आज दाँतक रोटी सम्बन्
202 दाँत तोड़ना परास्त करन मुझसे उलझने कोश करोगे तुम्हा तोड़
203 दाँतों में तिनका लेना अधीनता स्वीकार करना वीर श के वह ही उ का र दाँतों तिनक उनके उपस्थ
204 दाई से पेट छिपाना ऐंसी जगह भेद छिपाना जहाँ ऐसा करना संभव नहीं हो उसने मुझसे दिया कब त पेट छ
205 दाना पानी उठना अन्न जल न मिलना जब से साहब मौत बेचारे का इ दाना उठ गय
206 दाने दाने को मुँहताज भोजन न पाना, अत्यंत दरिद्र नौकर दिये तो मैं दाने मुँहता जाऊँ
207 दाल गलना मतलब निकलना चाहे भी क तुम्हा गलने व नहीं है
208 दाल भात का कौर समझना बहुत आसान समझना इस क तुम, द का क समझ
209 दाल में काला होना संदेह की बात होना तुम्हा से लग जरूर द कुछ क
210 दिन दूना रात चौगुना होना (या बढ़ना) खूब तरक्की करना भाई, तुमने ग व्याप किय दूना र चौगुन जा र
211 दिल के फफोले फोड़ना मन की भडास निकालना साहब से झग थे, घर चली पर ही बिगड़ दिल फोड़
212 दिल्ली दूर होना लक्ष्य दूर होना अभी मैट्रि परीक् ही उ हुए हो मजि बनने क सपना हो, अ दिल्ल
213 दीन दुनिया भूल जान सुध बुध भूल जाना सच्चे ईश्वर साधन डूबकर दुनिय जाते
214 दीया लेकर ढूँढना हैरान होकर ढूँढना उसके ईमान नौकर दीया ढूँढने से नहीं
215 दुनिया की हवा लगना सांसारिक अनुभव होना जब से को दु की ह है, वह मितव् गया
216 दुम दबाकर भागना कायरतापूर्वक भागना वह बहु शेखी रहा थ लेकि वहाँ पहुँचे, दबाक गया
217 दूज (ईद) का चाँद होना मुश्किल से दिखाई देना यार तु को त तुम त के चाँ हो
218 दूध का दूध पानी का पानी करना पक्षपातरहित न्याय करना महार हरिश् न्याय चाहे झगड़ा क्षण का दू का प देते थे
219 दूध की लाज रखना माँ की प्रतिष्ठा रखना युद्ध में समय आशी हुए माँ बेटा, जीत की ल रखना
220 दूध की नदियाँ बहाना संपन्नता की भरमार होना प्राच भारत की न बहती
221 दूध के दाँत न टूटना अनुभवहीन होना तुम त कभी बातें हो ज लगता अभी तुम्हा दाँत न
222 दूधो नहाओ, पूतों फलो धन और संतान की वृद्धि होना बहू ने सास छूए, उ आशी दिया नहा फलो
223 दो दिन का मेहमान शीघ्र ही मरनेवाला, या कहीं बाहर जानेवाला चाच बीमा बढ़ गय तो वे के मेहम
224 दो नावों पर पैर रखना दो विरोधी काम एकसाथ करना दो न पैर रख सफलत भागन
225 द्रविड़ प्राणायाम करना सीधी बात को घुमा फिराकर कहना जो कु है सी कहो, प्राण मत कर
226 धक्का लगना नुकसान होना, दु:ख होना पिछ जूट के में ला को ग धक्क था
227 धज्जियाँ उड़ाना दुर्गति करना, दोष दिखाना शशि उस ध की ऐ धज्ज उड़ाय वह अप मुँह ले गया
228 धता बताना टाल देना मैं सह की लेकर ने के पा था, प उन्हों धता दिया
229 धरना देना सत्याग्रह करना आँदो कर्मच मंत्री कार्य सामने रहे हैं
230 धुएँ के बादल उड़ाना भारी गप हाँकना उसक विश्व कभी करना, बादल वह मा
231 धुन सवार होना किसी काम को पूरा करने की लगन होना इन दि परमेश् पर पैस की धु हो ग
232 धूप में बाल सफेद करना अनुभवहीन होना अफस तुम्हें इ भी इ की जान नहीं है क्या बाल किये
233 धूल फाँकना मारा मारा फिरना पढ़ाई छोड़ इधर उ धूल फ करता
234 धूल में मिलना बर्बाद हो जाना अपने ताकत साथ टकरा धूल में जाते
235 धोती ढीली होना डर जाना नये नये शिक जैसे ह सामन उसक ढ़ील गयी
236 धोबी का कुत्ता बेकार आदमी उसक मत पू तो ध कुत्ता किस का न
237 नजर पर चढ़ना पसंद आ जाना लगता तुम्हा छात की न गया
238 नमक मिर्च लगाना किसी बात को खूब बढ़ा चढ़ाकर कहना उसने मिर्च मेरी पिता की है
239 नाक कट जाना प्रतिष्ठा नष्ट होना तुम्हा चोरी करतूत परिव नाक
240 नाक का बाल होना बहुत प्रिय होना अपनी के का बीरब की न बाल
241 नाकों चने चबवा देना खूब परेशान करना वीर श ने छा युद्ध औरंगजे नाक चबवा
242 नाक भौं चढ़ाना नाराज होना, घृणा प्रकट करना गंदगी देखकर नाक चढ़ाने
243 नाक में दम करना खूब तंग करना अपनी शैतान तो इ नाक दिया
244 नाक रगड़ना गिड़गिड़ाना, विनती करना तुम ल रगड़ो, इस ब माफ करूंगा
245 नानी याद आना होश उड़ जाना, हौसला पस्त होना पुलिस देखते चोरों नानी गयी
246 नीचा दिखाना अपमानित करना आज उ सामने नीच दिख
247 नीला पीला होना क्रोध करना छोट बातों बच्चों नील मत हु
248 नौ दो ग्यारह होना भाग जाना वह बद मेरी ग लेकर न ग्यार गया
249 पंचतत्व को प्राप्त करना मृत्य होना 30 जन 1948 गाँधी पंचतत् प्राप् था
250 पगड़ी उछालना बेइज्जत करना, हँसी उड़ाना तुमने सामने पगडी है, इस बदला जरूर लूँ
251 पगड़ी रखना मर्यादा की रक्षा करना भाई हालत मेरी प सकते तो मैं को मुँ दिख लाय रहूँगा
252 पत्थर की लकीर अमिट, स्थायी मेरी ब पत्थर लकीर
253 पत्थर पर दूब जमना अनहोनी बात या असंभव काम होना उस क चंदा एक रुप तो ल जैसे प दूब ज
254 पत्थर से सिर फोड़ना असंभव बात के लिए कोशिश करना उस मू समझ कोश क्यों सिर हो ?
255 पहाड़ से टक्कर लेना जबर्दस्त से मुकाबला करना काले पहलव भिड़न से टक् है
256 पाँव उखड़ जाना हार जाना हमारे की ल सुनते ह पाक घुसपैठ पाँव
257 पाँव फूंक फूंक कर रखना सोच समझकर काम करना जवान हाती इस अ पाँव कर रख चाहि
258 पजामे से बाहर होना कुद्ध होना, जोश में आना नौकर लाने क्या साहब से बा
259 पानी की तरह पैसा बहाना अंधाधुंध खर्च करना मुफ्त दौलत गयी तो वह की त बहा र
260 पानी पानी होना लज्जित होना शराब अचान पिता देख ल पर बेच दामो पानी हो ग
261 पानी में आग लगाना असंभव को संभव करना उन दो पक्क दोस्त डाल पानी लगा
262 पिल पड़ना जी जान से लग जाना परीक् प्रथम पाने सौम अध्यय पड़ा
263 पीठ ठोंकना शाबाशी देना, बढ़ावा देना परीक् प्रथम पिता मेरी प ठोंक
264 पीठ दिखाना लड़ाई में भाग जाना थोड़ लड़ाई शत्रु ने दिख
265 पेट में चूहे दौड़ना जोरों की भूख लगना माँ, ज कुछ ख दो, पे दौड़ र
266 पौ बारह होना लाभ का अवसर मिलना इस वर् सब्ज दाम आने के किस पौ ब
267 प्राण मुँह को आना अत्यधिक कष्ट होना जंगल अचान की द ही मेरे मुँह क
268 प्राणों से हाथ धोना मर जाना यदि दुश्मन तो प्र हाथ पडेगा
269 प्राण हथेली में लेना मरने के लिए तैयार रहना बहादु प्राण लिये
270 प्राणों की बाजी लगाना अत्यधिक साहस करना भारत प्रहरी देश रक् प्राण बाज देते हैं
271 पोल खोलना रहस्य प्रकट करना आखि दिन उ नौकर यह प दी क नेताज पास पैसा आता
272 फंदे में पड़ना धोखे में पड़ना तुम ल प्रलो लेकि तुम्हा नहीं पड़नेव
273 फटेहाल होना बुरी हालत में होना नौकर जाने इन दि फटे ह गया
274 फूंक से पहाड़ उड़ाना थोडी शक्ति से बड़ा काम करना अमेरि शक्त देश क चुनौत इराक पहाड़ चाहत
275 फूटी आँखों न भाना अप्रिय लगना तुम्हा समय उ माँगने आदत आँखों नहीं
276 फूलकर कुप्पा होना खुशी से इतराना जब श चंदन प्रशंस तो वह कुप्पा गया
277 फेर में डालना कठिनाई में डालना उसने खड़ा बड़े फेर दिया
278 बगलें झाँकना लज्जित होकर इधर उधर देखना पिता रंगे हा चोरी पकडे वह बग लगा
279 बट्टा लगाना कलंक लगाना अपना तोड़क क्षत्र नाम लगा
280 बरस पड़ना क्रोध में आकर खरी खोटी सुनाना बच्चों छोट भूल पर बरस प बुरी ब
281 बाग बाग होना बहुत खुश होना ‘तीसर फिल् राजक अभि तबीय बाग
282 बाजी ले जाना आगे निकल जाना कल के मैच में कॉले टीम गयी
283 बात चलाना शुरू करना इन दि बहन क शाद बात जा र
284 बातों में आना बात व्यवहार में धोखा खाना न जा समय बुद्धि क्या था ज उसक में आ ग
285 बाल बाँका न होना कुछ भी हानि न पहुँचना तुम्हा आशी इस ल मेरा ब बाँक होगा
286 बाल की खाल निकालना निरर्थक बहस करना हर बा की ख निक तुम्हा आदत
287 बासी कढ़ी में उबाल आना बुढ़ापे में जवानी की उमंग उठना, समय बीत जाने पर कुछ करने की इच्छा होना बूढ़े चट्टो महोद तरह से सँवरन यही कि ब कढ़ी आ गय
288 बीड़ा उठाना किसी काम को पूरा करने का संकल्प करना भगवा सुग्री रक्षा बीड़ था
289 बुखार उतारना क्रोध करना बहुत म करने ल ऐसी मारूंग बुखार दूंगी
290 बेड़ा पार लगाना कष्ट से उबारना भगवा बेड़ा लगाते
291 बे सिर पैर की बात कहना निरर्थक बात कहता कुछ स समझ करो, पैर क कहने फायद
292 बेवक्त की शहनाई बजाना अवसर के विरुद्ध काम करना पूजा पर फ गीत कुछ ल बेवक्त शहना हैं
293 बोलती बंद करना निरुतर करना, बोलने न देना सबके पोल शरत ने बोलत दी
294 बौछार करना अधिक मात्रा में उपस्थित करना पुलिस पर गो की ब कर द
295 भंडा फूटना भेद खुलना – एक न तुम्हा कुकर्म भंडा और त तुम पर
296 भानुमती का पिटारा वह पात्र, जिसमें तरह तरह की चीजें मौजूद रहती हैं दादी तो म भानुम पिटा उनकी पीते उछलने लगा
297 भार उठाना उत्तरदायित्व लेना इतने ब अनुष्ठ भार एक अ का न
298 भार उतारना ऋण से मुक्त होना भती शाद ही मेरे एक भ जायग
299 भूत सवार होना सनक सवार होना क्या भूत स गया बच्ची तरह प हो ?
300 भौंह चढ़ाना क्रोध करना वह स्व ही क् छोट बातों भौंह लेगा
301 मक्खी की तरह निकाल देना किसी को किसी काम से बिलकुल अलग कर देना अपने के प्र तो र साथ किंतु के चल ही उ मक्ख तरह न दिय
302 मक्खी मारना (या उड़ाना) बिलकुल निकम्मा रहना सरक कानू कार का चौपट गया, मक्ख रहा
303 मगज खाना (या चाटना ) बकबक कर तंग करना कल से परीक् अत: मु दो, बे पास मगज खा
304 मजा किरकिरा होना रंग में भंग पड़ना बार मेला सार किर हो ग
305 मन की मन में रहना इच्छा पूरी न होना तुमल साथ जाने भी ब इच्छ किंतु बीम कार की म गयी
306 मन के लड्डू खाना व्यर्थ की आशा में प्रसन्न होना जब से ज्यो उसे ल निक बात वह मन खा र
307 मन मैला करना अप्रसन्न या असंतुष्ट होना जरा बात मैला तो य कैसे च
308 मशाल लेकर ढूँढना अच्छी तरह ढूँढना रमुआ ईमान मेहनत तो मशा ढूँढने नहीं
309 माथे पर बल पड़ना चेहरे पर क्रोध, दु:ख या असंतोष आदि प्रकट होना जैसे ह छुट्टी अपन आवेद साम साह पर ब
310 मारा मारा फिरना बुरी दशा में इधर उधर घूमना जब से उसे न जवा है, बेच मार फिर
311 मिट्टी के मोल बिकना खूब सस्ता बिकना इस स मिट्ट मोल
312 मिट्टी पलीद करना दुर्दशा करना छात्र देश द्र की मिट्ट की
313 मुँह की खाना बेइज्जत होना, बुरी तरह हार जाना 1985 आम विप उम्मी को मुँ खान
314 मुँह काला करना व्यभिचार करना, बदनामी का काम करना चोरब का आपने अपन काल है
315 मुँहतोड़ जवाब देना ठोस जवाब देना उसक का मैं जवा
316 मुँहदेखी कहना खुशामद करना, तरफदारी करना अपन पूरा लिए मुँह दे कहेग
317 मुँहमाँगी मुराद पाना मनचाही वस्तु पाना तुम ब भाग् हो ज नौकर में मुँह मुराद
318 मुँह में पानी भर आना किसी चीज को पाने के लिए लालच होना मिठ उसके पान आया
319 मुँह में लगाम न होना जो मुँह में आवे, सो कह देना उसके लगा जो म आता डाल
320 मुँह मोड़ना विमुख होना इन द खेलकू मोड़ में लग
321 मुट्ठी गरम करना घूस देना, रुपया देना | बड़ा मुट्ठी किये तुम्हा नहीं
322 मैदान साफ होना कोई बाधा न होना पित बाहर ही मै साफ और र के लि भाग
323 मैदान मारना (मैदान मार लेना) जीत जाना कल के मैच में की ट मैदान लिय
324 मौत का सिर पर खेलना विपत्ति समीप होना, मरने की होना क्या सिर रही बढ़ी को प जा र
325 मेढ़की को जुकाम होना अनहोनी होना बुढ़ापे बाप लगत मेढ़क जुका
326 यश कमाना नाम हासिल करना बाढ़ पीड सहा दाम ने बड कमा
327 यश मिलना सम्मान मिलना मैंने बहु का किय इसके मिल रहा, बदना मिल
328 रंग उखड़ना धाक न जमना, मजा बिगड़ जाना ऐसी चलेंग महफ तुम्हा सार उखड़
329 रंग उड़ना (या उतरना) भय या लज्जा से चेहरा का बेरौनक हो जाना जैसे ह मास् ने सुरे परीक् नकल पकड के चेह उड ग
330 रंग जमना धाक जमना, समां बँधना, खूब आनंद मजा होना कल क में नेत अच्छ जमा
331 रंग में भंग पड़ना आनंद में विध्न पड़ना हमल महफ जमी लेकि अचा श्या पित आ ज में भंग
332 रंग लाना असर दिखाना, विशेषता प्रकट करना हिन पर घ के बा लात
333 रंगे हाथों पकड़ना अपराध करते हुए पकड लेना पुलि पॉके रंगे ह लिय
334 राई से पर्वत करना (या बनाना) छोटी बात को बहुत बढ़ा देना दाम धूर्त है भी ब राई करके कहत फिर
335 रोंगटे खड़े होना भयभीत होना, भयानक दृश्य देखकर शरीर के रोयें का खडा होना अंधेरे जैसा खड़ा देखते रोंगटे गये
336 रफू चक्कर होना भाग जाना सिप देखते रफू च गया
337 रात दिन एक करना कठोर परिश्रम करना उसने में प्र पाने रात कर द
338 रोटी के लाले पड़ना दाने दाने को तरसना पति होते बेचार को र लाले
339 रोड़ा अटकाना बाधा डालना भाइ मेरी खूब र अटक मुझे प रोक रौनक रहना
340 रौनक जाना चमक समाप्त हो जाना लंबी के बा बिट चेहरे जात
341 लंबी तानना सो जाना रोज खान वह लं देता
342 लकीर का फकीर होना अंधविश्वासी होना, पुराणपंथी होना राजेंद् बिल लकी फकी विधव विव लिए राज होग
343 लपेट में आ जाना घिर जाना उत्तर बिह सैकड़ बाढ़ में आ
344 लंबी चौड़ी हाँकना डींग हाँकना देवेंद्र लंबी हाँक है
345 लल्लो चप्पो करना खुशामद करना मैं तो साफ कहूँग चप्प मुझे न
346 लड़ाई में काम आना लड़ते लड़ते मर जाना वियत अमेरि हजार सैनि में का
347 लहू का प्यासा होना जान लेने को तैयार होना जब से मैंने उ विरो किय वह मेरे प्या गया
348 लुटिया डुबोना या डुबा देना बर्बाद करना, अपमानित करना इस भ में भा दाम खरीद मेरी डुबो
349 लोहा मानना पराजित होना, प्रभुत्व स्वीकार करना अंत में मेरी का ल मानन होग
350 लोहा नहीं मानना पराजय स्वीकार नहीं करना अकबर तिक परंतु महार जी ने लोह मान
351 लोहे के चने चबाना असंभव या कठिन काम करना इतने की तै परीक् प्रथम लान चने च
352 जी लगाना किसी का ध्यान करना हर सम भगव लगा चाह
353 वक्त पर काम आना विपत्ति में साथ देना सच्चे ही व काम
354 वचन देना (या हारना) वादा करना मैं उसे चुका कित देनी
355 वार खाली जाना चाल विफल होना इस ब दुश्मन खाल आगे साव रहना
356 वीरगति को प्राप्त करना युद्ध में मारा जाना महा युद्ध पित वीरग प्राप् – भा युद्ध सैनि वीरग प्राप्
357 शहद लगाकर चाटना बेकार चीज की हिफाजत करना इस पुर को लगा रहे हो नये क ला दूँ
358 शान में बट्टा लगना इज्जत में कमी आना मेहनत करके पाल किस शान नहीं
359 शामत सवार होना (शामत आना ) विपत्ति आना तुम पर सवार गयी ऐसी बातें हो ?
360 शेखी बघारना डींग हाँकना हम स अच्छ जान हमारे क्यों बघार
361 सनक सवार होना धुन सवार होना इन द पर ल टिक की स सवार गयी
362 सन्नाटे में आना ठक रह जाना, कुछ कहते सुनते न बनना इतने लड़के गदी निक मास् सन्न गये
363 सन रह जाना हतप्रभ रह जाना मैं तो शास् की असा मृत्यु सुनकर गया
364 सबको एक डंडे से हाँकना सबके साथ समान व्यवहार करना सबक से हाँ नीत प्रजा सबसे कमज
365 सब्जबाग दिखाना झूठी आशा देना व्याप लाभ सब्ज दिख धूर्त ने,दि सारे लिये
366 साँप छुछूदर की दशा भारी असमंजस की दशा राम सिने के लि निक था क पित उसे ब जाने दिय बेचार छुछूदर दशा गया
367 सिटटी पिटटी गुम होना भय से होश हवाश उड़ जाना अचा साम को दे मेरी पिट्ट गयी
368 सिर आँखों पर बैठाना बहुत आदर सत्कार करना आप ह गाँव बार आइये, लोग सिर बैठायें
369 सिर उठाना विरोध करना अँगरेज गलत कार 1857 देशी रिय उनके सिर था
370 सिर के बल जाना विनयपूर्वक किसी के पास जाना हजूर ! हुक्म यह से पास बल ज
371 सिर पर खून चढ़ना (या सवार होना) जान लेने पर उतारू होना अभी साम जाओ समय सिर चढ़ ग
372 सिर पर कफन बाँधना मरने के लिए तैयार होना सिर बाँध सारे स्वतंत् आंदो पड़े थे
373 सीधी औगुली से घी न निकलना नरमी से काम न होना दारो कहीं अँगुल निक इसे द लगाइ सबकु ठीक देगा
374 सीधे मुँह बात न करना अभिमान से बात न करना जब से की मिल सीधे तक न करता
375 सीनाजोरी करना जबरदस्ती करना अपने साथ सीन करना नहीं
376 सूरज को दीपक दिखाना जो स्वंय गुणवान हो, उसे कुछ बताना; सुविख्यात का परिचय देना आपक परिच सूरज दीप दिख
377 हँसी उड़ाना उपहास करना किस गरीब हँसी अच्छ नहीं
378 हक्का बक्का रह जाना भौंचक रह जाना नौकर तुम्हा में ऐस बातें हक्क रह गय
379 हवा पीकर रहना बिना आहार के रहना माल नहीं दीज तो क् हवा रहूँगा
380 हवा से बातें करना बहुत तेज चलना या दौड़ना महार प्रता ही चे एँड़ ल वह हव बातें लगा
381 हाथ धोकर पीछे पड़ जाना किसी काम में जी जान से लग जाना वह इस के लि धोक पड़ ग
382 हाथ तंग होना आर्थिक तंगी होना हाथ के क मित्र बीम कुछ क सका
383 हाथ के तोते उड़ना सहसा किसी अनिष्ट के कारण स्तब्ध हो जाना, चकित रह जाना कचहर गवाह बयान देखकर हाथ उड़ ग
384 हथियार डाल देना हार मान लेना आख गोल के सेन तक ल हथिय देना
385 हाँ में हाँ मिलाना खुशामद करना, जी हजूरी करना साह में हाँ जाओ तरक्क जाओ
386 होश उड़ जाना भय या आशंका से व्याकुल होना अचा दरवा लाल वाल देखकर होश
387 हौसला पस्त होना उत्साह न रह जाना चुनाव जाने मनोह का ह पस्त है
388 काल के गाल में जाना मर जाना देशरत् राजेन् प्रसा ही क गाल
389 किस्मत पलटना भाग्य फिरना सुधीर लॉटर निक उसक किस् गयी
390 किस्मत फूटना भाग्य खराब होना मेरी तो उ फूट ग जिस जैसा नाल बेटा कोख हुआ
391 गूलर का फूल होना दुर्लभ होना आजक जना फूल ह दिख नहीं
392 गोबर गणेश होना बेवकूफ होना उसक कुछ भ आयेग पूरा गणेश
393 गागर में सागर भरना थोड़े में अधिक करना कवि बिह लाल दोह में सा दिय
394 नकेल हाथ में होना किसी के काबू में होना उसक मेरे ह मेरा अवश् लेगा
395 नक्कारखाने में तूती की आवाज महत्वहीन बात या आवाज उसने अधि से इस की शिक लेकि नक्क में तूत आवा सुनत
396 चलता पुरजा होना चालाकी से काम लेना आजक के लि पुरजा बेहद
397 इांझट मोल लेना जानकर मुसीबत में पड़ना ऐसे ब को रखकर इांझट नहीं
398 चाँद पर थूकना व्यर्थ कलंक लगना गाँध लिए बातें चाँद की कर रहे
399 निन्यानबे के फेर में आना धन बढ़ाने की धुन में रहना वह ऐ निन्य फेर में है कि दुनिय को है
400 दिन में तारे दिखाई देना मानसिक कष्ट के कारण बौखला जाना साह बडा ऐसी खोट सुना उन्हें द ही त दिख लगे
401 मूंछ उखाड़ना घमंड दूर करके दंड देना अब य एक भ दी त तुम्हा उखा
402 मूली गाजर समझना अति तुच्छ समझना तुमने मूली समझ जो ब में पी धमक हो ?
403 खाक छानना खूब ढूँढना मैंने दर खाक डाल कहीं मिल
404 खुशी के दीये जलाना आनंद मनाना, खुश होना दाम नौकर का स जैसे ह मिल घर में दीये
405 घोलकर पिला देना अच्छी तरह से याद करा देना इतनी समझ फिर समझे, तुम्हें पिल
406 जबान में लगाम न होना अनुचित बातें कहने का अभ्यास होना तुमसे लगा तुम्हा जबा लगा ही न
407 जलती आग में कूदना जानबूझकर मुसीबत में पड़ना शत्रु में दि अकेले जलत कूदन
408 डपोरशंख होना डींग मारना यह ब डपोर कहत करता नहीं
409 तलवे चाटना खुशामद करना कई द वह से चाटत तब क जाक नौकर मिल
410 थाह लेना किसी चीज की गहराई मालूम करना किस हिम्म सागर थाह
411 दाँत खट्टे करना परास्त करना, हैरान करना हल्दी की ल राजपू अकबर सिप के दाँ कर द
412 धरती पर पाँव न रखना घमंड से चूर रहना जब से उसके आये हैं धरती नहीं
413 फक हो जाना घबड़ा जाना ज्यों शिक् विन सवा वह फ गया
414 रोटियाँ तोड़नी बिना मेहनत किये पड़े पड़े खाना जना करते रोटि तोड़ बातें
415 लाले पड़ना आर्थिक तंगी बेकार कार दिन में खा लाले
416 विष उगलना दुर्वचन कहना शिशु श्री साम विष लगा
417 हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना खाली बैठे रहना हाथ धरे बैठे रहनेव मदद भी न
418 कोल्हू का बैल कठिन परिश्रम करनेवाला पैसा की धु बिल कोल् बन ग
419 तरस खाना दया करना मुझ ग तरस उन्हों अना
420 तीन तेरह करना अस्त व्यस्त करना, तितर बितर करना मेरा किय कराय तुमने कर द क्या हो ?
421 पाँचों उँगलियाँ घी में होना खूब फायदा होना जब से के पि विदेश उसक उँगल में हैं
422 फूले अंग न समाना अत्यधिक प्रसन्न होना अपन की श होने सुनकर अंग न रही
423 बहती गंगा में हाथ धोना ऐसी चीज से लाभ उठाना जिससे सब लोग उठा रहे हों उन द सरक सुनार हर तर दे रह सुनार मौक चूकनेव था? बहती हाथ लिय
424 यश गाना प्रशंसा करना, एहसान मानना वह आ अपने का य है
425 श्रीगणेश करना अच्छा काम शुरू करना अजय दुका श्रीग किस को रहे हैं ?
426 भाड़े का टट्टू क्षणिक, निकम्मा, सिद्धांतहीन आदमी अरे, तु की ब चला वह त का ट जिस खाये का ग